पतरातू (रामगढ़) : साेमवार काे 53 साल पुराने पीटीपीएस को एनटीपीसी के हवाले कर दिया गया. पीटीपीएस सर्किट हाउस में एनटीपीसी व पीटीपीएस प्रबंधन के बीच हैंड ओवर – टेक ओवर की प्रक्रिया पूरी की गयी. मौके पर झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के एमडी राहुल पुरवार ने बताया कि एक वर्ष पूर्व एनटीपीसी के साथ झारखंड सरकार का एमओयू हुआ था.
इसमें ज्वाइंट वेंचर के तहत पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की स्थापना कर यहां से चार हजार मेगावाट बिजली उत्पादन करने की योजना बनी थी. इसी के तहत सारी प्रक्रिया पूरी की गयी है. झारखंड सरकार ने फिलहाल पीटीपीएस की करीब 12000 एकड़ जमीन एनटीपीसी को हस्तांतरित किया है. एमओयू के अनुसार एनटीपीसी इस जमीन पर पहले फेज का काम शुरू करेगा. इसके तहत 800 मेगावाट के तीन पावर प्लांट लगाये जायेंगे.
इसी दौरान पीटीपीएस को डेवलप कर उससे 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जायेगा. 2020 में प्रथम फेज का काम पूरा हो जायेगा. तब पीटीपीएस के पुराने ढांचे को हटा कर दूसरे फेज का काम शुरू किया जायेगा. इस दौरान पुराने प्लांट की 200 एकड़ के साथ कुल 600 एकड़ जमीन और दी जायेगी. दूसरे फेज में 800 मेगावाट के दो पावर प्लांट लगेंगे. 4000 मेगावाट बिजली उत्पादन की पूरी योजना वर्ष 2024 तक अस्तित्व में आ जायेगी. इससे झारखंड बिजली के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जायेगा.
अभी खरीदनी पड़ती है बिजली : राहुल पुरवार ने बताया कि झारखंड में फिलहाल लगभग 3600 मेगावाट बिजली की खपत है. इसमें महज 500-600 मेगावाट बिजली का ही राज्य में उत्पादन होता है.
शेष बिजली खरीदनी पड़ती है. उक्त योजना के पूरा हो जाने पर 85 प्रतिशत यानी 3400 मेगावाट बिजली राज्य को मिलने लगेगी. शेष 600 मेगावाट बिजली दूसरे राज्यों को बेचा जायेगा. मौके पर विधायक निर्मला देवी, रामगढ़ डीसी ए दोड्डे, एसपी एम तमिलवाणन, पीवीयूएनएल के सीइओ सीवी सुब्रमनियण, एनटीपीसी के एजीएम (एचआर) एसबी दुबे, जीएम (ओएंडएम) ए मजुमदार, जीएम (ऑपरेशन) एमके सिंह, डीजीएम रोहिल पाल, एजीएम (टीएस) टीके कोनार, पीटीपीएस के जीएम बच्चू नारायण उपस्थित थे.
कम होगी बिजली की दर
प्रेस कांफ्रेंस में जानकारी दी गयी कि फिलहाल राज्य सरकार को बिजली पर 4.5 रुपये प्रति यूनिट की दर से खर्च करना पड़ता है. पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के पूर्ण हो जाने पर यह दर तीन रुपये के आसपास रह जायेगी. इससे राज्य के उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी. यहां के कल-कारखानों, व्यवसायियों, कृषकों व आम उपभोक्ताओं को चौबीस घंटे बिजली उपलब्ध होगी. इससे विकास को गति मिलेगी.