– कुमार आलोक –
– पतरातू प्रखंड में लगभग 32 हजार विद्यार्थी में 20 प्रतिशत को बैठना पड़ता है जमीन पर.
– कई योजनाओं का हाल बुरा है
– बच्चों को सुविधाएं भी नहीं मिलती है
भुरकुंडा : सरकारी स्कूलों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है. ऊपर से सरकारी प्रयासों के सही ढंग से धरातल पर लागू नहीं होने से बच्चों को और परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बच्चों को स्कूल तक खींचने के लिए चल रही योजनाओं का हाल बुरा है. बच्चे स्कूल जायें, तो उनके लिए वहां समुचित संसाधन भी नहीं मिलते हैं.
ऐसे में बच्चों द्वारा स्कूल छोड़ देने के किस्से आम हैं. पढ़ाई का स्तर भी काफी कमजोर है. जानकारी के अनुसार, पतरातू प्रखंड के सरकारी स्कूलों में लगभग 32 हजार बच्चे पढ़ते हैं. इनमें से लगभग 20 प्रतिशत बच्चों को कभी भी पूरी सुविधा नहीं मिलती है.
इन्हें बगैर दरी के फर्श पर बैठाया जाता है. ठंड के मौसम में बच्चों की मुसीबतें और बढ़ जाती है. ऐसे में ठंड से ठिठुर रहे बच्चे पढ़ाई के ऊपर आखिर कितना फोकस कर पायेंगे.
भ्रष्टाचार सबसे बड़ी परेशानी
कुछ सरकारी शिक्षकों ने कहा कि व्यवस्था बेहतर नहीं हो पा रही है, तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजह भ्रष्टाचार है. किसी भी योजना की राशि स्कूल तक पहुंचते-पहुंचते इतनी कम हो जाती है कि उसका कोई विशेष लाभ स्कूल को नहीं मिल पाता है. इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी से बात करने की कोशिश की गयी, लेकिन उनका मोबाइल बंद पाया गया.