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झारखंड : पढें यूपीएससी टॉपर के सफलता की कहानी नीतीश कुमार सिंह की जुबानी

पांकी केनीतीश ने यूपीएससी परीक्षा में 23वां रैंक हासिल किया, कहा पलामू के पांकी प्रखंड के नीमाचक पथरा गांव के रहने वाले नीतीश कुमार सिंह ने यूपीएससी परीक्षा में 23वां रैंक हासिल किया है. नीतीश की प्रारंभिक शिक्षा वर्ग दो तक भवनाथपुर में हुई थी, उसके बाद बोकारो में प्लस टू तक की पढाई की. […]

पांकी केनीतीश ने यूपीएससी परीक्षा में 23वां रैंक हासिल किया, कहा
पलामू के पांकी प्रखंड के नीमाचक पथरा गांव के रहने वाले नीतीश कुमार सिंह ने यूपीएससी परीक्षा में 23वां रैंक हासिल किया है. नीतीश की प्रारंभिक शिक्षा वर्ग दो तक भवनाथपुर में हुई थी, उसके बाद बोकारो में प्लस टू तक की पढाई की. बीटेक धनबाद से किया. अपने पांच भाई बहनों में नीतीश सबसे छोटे हैं. उनसे चार बड़ी बहनें है. पिता प्रयाग सिंह बोकारो स्टील प्लांट में कार्यरत थे, अब वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं. मां इंदिरा देवी गृहिणी है.
भले ही नीतीश की शिक्षा पलामू में नहीं हुई, लेकिन पलामू और अपने गांव से उनका गहरा लगाव है. सफलता के लिए नीतीश धैर्य, ईमानदार मेहनत और जज्बा को महत्वपूर्ण मानते हैं. कहते हैं शुरुआत में थोड़ी मुश्किल होती है, लेकिन ईमानदारी से मेहनत की जाये, तो सफलता जरूर मिलती है. लेकिन सफलता के लिए यह भी आवश्यक है कि शुरुआती दौर में लक्ष्य को पाने के लिए आपके पास जोश और जुनून है, वह लक्ष्य प्राप्ति तक बना रहना चाहिए. क्योंकि कई बार यह देखा जाता है, लोग जोश के साथ तैयारी तो शुरू करते हैं, मगर बाद में उत्साह ठंडा पड़ जाता है. यह परिस्थितियों के कारण भी होता है. लेकिन परिस्थिति कितनी भी विपरित क्यों न हो, मगर सफलता प्राप्ति के लिए प्रतिकूल परिस्थितियों को भी अनुकूल बनाने का हौसला पास में होना चाहिए. इन सब के लिए खुद के पास धैर्य होना चाहिए और साथ ही पारिवारिक सपोर्ट भी आवश्यक होता है. अविनाश ने नीतीश कुमार से दूरभाष पर लंबी बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश :
सवाल. यूपीएससी परीक्षा में 23वां रैंक आया है किस तरह आपने तैयारी की, आम धारणा यही है कि यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के लिए बाहर जाना आवश्यक है आपने कहां से तैयारी की?
जवाब. देखिये, जहां तक परीक्षा की तैयारी का सवाल है, तो इसके लिए वह कहीं बाहर नहीं गये. हां कुछ दिनों के लिए दिल्ली गये थे. उसके बाद कुछ दिनों तक धनबाद में रहकर तैयारी की. उसके बाद पिछले दो वर्ष से रांची में ही रहे और यहीं से परीक्षा की तैयारी की.
वर्तमान दौर इंटरनेट का है. इंटरनेट पर सब कुछ उपलब्ध है. ऐसे में मेरे विचार से यह आवश्यक नहीं है कि परीक्षा की तैयारी के लिए बाहर ही जाया जाये. बल्कि जरूरी यह है कि जहां कहीं भी आप है वहीं रहकर ईमानदार कोशिश करें. इंटरनेट का सहयोग लें, तो काफी सहायक सिद्ध होता है . जहां तक दिल्ली तथा अन्य बड़े शहरों में जाकर तैयारी करने का सवाल है, तो बडे शहरों में घुमने जाना चाहिए, ताकि यह पता चले कि कंपटिशन किस लेबल का है, और उसमें सफलता पाने के लिए करना क्या है. लेकिन सफलता सिर्फ बड़े शहरों में जाकर तैयारी करने से ही मिलेगी यह बात दिल्ली से निकाल देना है.
सवाल. आपके विचार में सफलता के लिए जरूरी क्या है?
जवाब. ईमानदार मेहनत, धैर्य व पारिवारिक सपोर्ट. क्योंकि यह जो परीक्षा होती है, उसमें कोई जरूरी नहीं है कि पहली बार में ही आपको सफलता मिल जाये. निरंतर मेहनत करना पड़ता है.
असफलता से घबराने की जरूरत नहीं है. असफलता के कारणों को ढूढ़ कर सफल होने के लिए दोगुना उत्साह से काम करना चाहिए. तब सफलता मिलती है, मै भी इस तरह के परिस्थिति से गुजरा अौर तीसरे प्रयास में सफलता मिली . लेकिन इस दौरान कभी भी धैर्य नहीं खोया, मेहनत नहीं छोड़ी. साथ ही इस तरह की परिस्थिति में आत्म विश्वास को कायम रखा, और परिवार के सदस्यों ने भी सपोर्ट किया.
सवाल. पलामू जैसे इलाके युवाओं के मन में सपने है आइएस बनना है. इन युवाओं के बारें में क्या कहेंगे, उन्हें क्या संदेश देंगे?
जवाब. बिल्कुल ठीक बात है, सपने देखना चाहिए. जहां तक पलामू का सवाल है, तो प्रत्येक क्षेत्र में चुनौती है. हर जगह कि अलग अलग समस्या है, पर जो समस्या से ग्रस्त इलाके हैं, वहां के युवा यदि सपने देख रहे हैं, तो उनके अंदर यह जज्बा भी है कि वह उसे पूरा करें. इलाके में मेहनती लोग हैं.
ईमानदार मेहनत करते हैं, तो निश्चित तौर पर सफलता भी मिलेगी. युवाओं के लिए वह बस इतना कहना चाहेंगे कि तैयारी करें, ईमानदार प्रयास करें, परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाकर सफलता हासिल करने का प्रयास करें.
धैर्य, मेहनत के साथ साथ आत्म विश्वास से भी लबरेज रहें. असफल होने के बाद अपने अंदर कभी भी हिन भावना न लाये बल्कि मेहनत बढ़ा दें.गांव से मेरा बेहद लगाव है जहां तक वह पलामू को समझते है अशिक्षा और गरीबी शिक्षा का स्तर बढ रहा है. आने वाले दिनों में निश्चित तौर पर पलामू की नकारात्मक छवि पूरी तरह से बदल जायेगी.

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