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अब एसीबी करेगा मामले की जांच
मेदिनीनगर : पलामू में 11 सड़क निर्माण कार्य में गड़बड़ी को लेकर अभियंता और संवेदकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. पुलिस द्वारा अनुसंधान भी किया गया, जिसमें यह पाया गया कि संवेदक और अभियंताओं पर जो आरोप लगे हैं, वह सही हैं. इस बीच इस मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को […]
मेदिनीनगर : पलामू में 11 सड़क निर्माण कार्य में गड़बड़ी को लेकर अभियंता और संवेदकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. पुलिस द्वारा अनुसंधान भी किया गया, जिसमें यह पाया गया कि संवेदक और अभियंताओं पर जो आरोप लगे हैं, वह सही हैं. इस बीच इस मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को सौंपने का निर्देश दिया गया है.
मालूम हो कि पलामू में कुल 11 सड़क निर्माण कार्य को लेकर पलामू के विभिन्न थानों में मामला दर्ज किया गया था. इसमें पांच मामले ग्रामीण कार्य विभाग के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता वीरेंद्र कुमार विमल व पांच मामले ग्रामीण कार्य विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव एसके सत्पथी के बयान के आधार पर दर्ज किये गये थे. इसमें पलामू के तत्कालीन डीआइजी रविकांत धान ने समीक्षा की थी. उन्होंने आदेश दिया था कि इस मामले में अनुसंधानकर्ता डीएसपी होंगे और सुपरविजन एसपी द्वारा किया जायेगा. इस आदेश के आलोक में डीएसपी हीरालाल रवि ने मामले का अनुसंधान किया. अनुसंधान में यह पाया गया है कि सड़क निर्माण कार्य की गुणवत्ता सही नहीं है. साथ ही मापी पुस्तिका में दर्ज कार्य से अधिक निकासी हुई है.
संवेदक और अभियंता हैं आरोपी
इस मामले में संवेदक व अभियंताओं के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. जिन संवेदक और अभियंताओं के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है, उसमें लोटस, डीके इंटरप्राइजेज, त्रिवेणी कंस्ट्रक्शन आदि का नाम शामिल है.
इसके अलावा तत्कालीन कार्यपालक अभियंता संजीव कुमार सिन्हा, मनमोहन झा, सहायक अभियंता बिरसा उरांव, उदय कुमार मेहता, कनीय अभियंता विजय बहादुर सिंह, महेश प्रसाद, अरविंद कुमार सिंह, रामप्रीत सिंह, अजीत कुमार, ओमप्रकाश विश्वकर्मा, विजय उरांव, कमलेश कुमार आदि शामिल हैं.
क्या था मामला
पलामू में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जो सड़क ली गयी थी, उसकी प्रगति की समीक्षा के दौरान यह पाया गया था कि अपेक्षित कार्य नहीं हुआ है. जबकि उसके एवज में राशि की निकासी अधिक हो गयी है. इसे लेकर विभाग द्वारा तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था.
कमेटी ने जो रिपोर्ट दी थी, उसके आधार पर विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव ने एसपी को पत्र लिखा था. पत्र में लिखा गया था कि सभी बिंदुओं पर अवलोकन करने से स्पष्ट होता है कि सरकारी राशि गबन का यह गंभीर मामला है. उसके बाद 15 अप्रैल 2014 को मामला दर्ज हुआ था.
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