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विधानसभा में मुंह लिया था मोड़, अब लोहरदगा में गंठबंधन पर जोर

विधानसभा में मुंह लिया था मोड़, अब लोहरदगा में गंठबंधन पर जोर झामुमो के साथ गंठबंधन के लिए हाथ-पैर मार रही है कांग्रेसब्यूरो प्रमुख, रांची कांग्रेस झामुमो में एकबार फिर नजदीकी बढ़ी है़ इस बार कोशिश कांग्रेस ने की है़ लोहरदगा चुनाव में कांग्रेस झामुमो के साथ गंठबंधन के लिए हाथ-पैर मार रही है़ पिछले […]

विधानसभा में मुंह लिया था मोड़, अब लोहरदगा में गंठबंधन पर जोर झामुमो के साथ गंठबंधन के लिए हाथ-पैर मार रही है कांग्रेसब्यूरो प्रमुख, रांची कांग्रेस झामुमो में एकबार फिर नजदीकी बढ़ी है़ इस बार कोशिश कांग्रेस ने की है़ लोहरदगा चुनाव में कांग्रेस झामुमो के साथ गंठबंधन के लिए हाथ-पैर मार रही है़ पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने झामुमो के साथ गंठबंधन नहीं किया़ दिल्ली तक बात पहुंची, लेकिन प्रदेश नेतृत्व ने मुंह मोड़ लिया था़ अब हालात बदल गये है़ं कांग्रेस लोहरदगा में कोई चूक नहीं करना चाहती है़ भाजपा सहित दूसरे विरोधियों की मजबूती से घेराबंदी के लिए झामुमो का साथ चाह रही है़ लोहरदगा में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत की प्रतिष्ठा दावं पर लगी है़ प्रदेश अध्यक्ष की बारी आयी, तो पार्टी को झामुमो की याद आयी़ विधानसभा में कई नेता थे गंठबंधन के पक्ष में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ झामुमो के साथ गंठबंधन को लेकर कई नेता पक्ष में थे़ सीटिंग विधायकों में ज्यादातर की कोशिश थी कि झामुमो के साथ गंठबंधन कर सीट बचाये़ं आलमगीर आलम जैसे कुछ पूर्व विधायक, तब गंठबंधन के पक्ष में नहीं थे़ वहीं चुनाव में ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ता-नेताओं को टिकट मिले, इसलिए प्रदेश अध्यक्ष श्री भगत ने केंद्र को गंठबंधन नहीं करने की पैरवी की़ सुखदेव भगत अकेले चुनाव लड़ने के पक्ष में थे़ सुबोधकांत ने राहुल गांधी को गंठबंधन के लिए लिखा था पत्रपूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने विधानसभा चुनाव में गंठबंधन के लिए राहुल गांधी को पत्र भी भेजा था़ श्री सहाय ने केंद्रीय नेतृत्व को बताया था कि पार्टी अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं है़ उन्होंने झामुमो और कांग्रेस के चुनाव लड़ने से मजबूत समीकरण की बात कही थी़ केंद्रीय नेतृत्व ने तब प्रदेश नेतृत्व की ही सुनी थी़ झामुमो के साथ गंठबंधन होता, तो बिहार वाला परिणाम आता : डॉ सरफराजपूर्व विधायक डॉ सरफराज अहमद ने कहा है कि झारखंड में पिछले विधानसभा चुनाव के कुछ नेताओं ने अपने स्वार्थ में झामुमो के साथ गंठबंधन नहीं होने दिया़ हम झामुमो के साथ मिल कर विधानसभा चुनाव लड़ते, तो परिस्थिति कुछ और होती़ बिहार वाला ही परिणाम झारखंड में भी आता़ झारखंड में सेक्युलर वोट का बिखराव हुआ़ इसके लिए कुछ नेता जिम्मेवार है़ं

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