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शिया समुदाय ने जंजीरी मातम मनाया
हैदरनगर(पलामू) : भाई बिगहा के शिया समुदाय के लोगों ने प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी मुहर्रम की आठवीं को जंजीरी मातम कर खुद को लहूलुहान कर लिया. इसे देखने दूर-दूर से लोग हैदरनगर आये. जंजीरी मातम के संबंध में शिया समुदाय के मुतवल्ली सैयद अयूब हुसैन ने बताया कि हक और बातिल की […]
हैदरनगर(पलामू) : भाई बिगहा के शिया समुदाय के लोगों ने प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी मुहर्रम की आठवीं को जंजीरी मातम कर खुद को लहूलुहान कर लिया. इसे देखने दूर-दूर से लोग हैदरनगर आये.
जंजीरी मातम के संबंध में शिया समुदाय के मुतवल्ली सैयद अयूब हुसैन ने बताया कि हक और बातिल की जंग में यजिदियों ने बेरहमी से कर्बला की जंग में इमाम हुसैन व अन्य का कत्ल किया था. उन्होंने बताया कि जंजीर से खुद का खूं बहा कर यह जताते हैं कि उस वक्त हम भी होते तो हक के लिए अपना खून बहाने से पीछे नहीं हटते. कर्बला की जंग में शहीद हुए लोगों का गम इस समुदाय के लोग दो माह आठ दिन तक मनाया करते हैं. इस दरम्यान उनके घर किसी प्रकार का मांगलिक कार्य नहीं होता है.
वहीं समुदाय की महिलाएं विधवा की तरह शृंगार आदि त्याग देती हैं. नवरोज के दिन से उनके घर मांगलिक कार्य शुरु हो जाता है व महिलाएं शृंगार आदि अपना लेती हैं. मुहर्रम की चांद रात से चला मजलिसों का दौर लगातार तेरहवीं मुहर्रम तक चलता रहेगा. इस बीच बच्चे ग्लास मातम, बड़े, बच्चे व बुजुर्ग भी जंजीरी मातम व ब्लेड मातम करते हैं. मुहर्रम की 10वीं को पहलाम की रस्म अदा की जाती है. इस तरह से शिया समुदाय के मुहर्रम मनाने का अपना अलग अंदाज है.
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