बीड़ा : चंदा कर बनाया चार कमरों का भवन, आज इस स्कूल में है 30 कमरे
कुड़ू : फांकाकशी की जिंदगी जीने के बावजूद बच्चों के सुनहरे भविष्य के सपनों को देख माराडीह गांव के दो भाईयों कैलाश नाथ भारती तथा केदार नाथ भारती ने अपनी पुस्तैनी जमीन से लगभग 15 एकड़ जमीन विद्यालय निर्माण के लिए दान कर दी. 15 एकड़ जमीन में आठ एकड़ में स्कूल, तीन एकड़ में खेल मैदान, दो एकड़ में छात्रावास तथा दो एकड़ में पौधरोपण किया गया है. प्रखंड में उच्च शिक्षा की हालत बद से बदतर थी. साल 1950 में प्रखंड में एक प्राथमिक विद्यालय था.
उच्च शिक्षा के लिए हाइ स्कूल नहीं था. कुड़ू के बाजारटांड़ में गांधी मेमोरियल हाइ स्कूल का शुभारंभ कुछ गण्यमान्य लोगों ने साल 1950 में किया. दो साल तक कच्चे भवन में विद्यालय का संचालन होने के बाद जमीन की तलाश शुरू हुई. माराडीह निवासी दो भाइयों कैलाश नाथ भारती तथा केदार नाथ भारती ने हिम्मत दिखाते हुए 14 एकड़ 88 डिसमिल जमीन विद्यालय के नाम पर दान कर दी.
साल 1952 में इस जमीन की कीमत कौड़ियों के भाव था लेकिन वर्तमान में जमीन की कीमत करोड़ों में आंकी जाती है. विद्यालय भवन निर्माण के लिए बिहार सरकार से फरियाद की गयी. सरकार ने भवन निर्माण के लिए लगभग दो हजार रुपये दो कमरे के निर्माण के लिए आंवटित किया. ग्रामीण चार कमरों का निर्माण कराने के लिए अडिग थे. गण्यमान्यों ने आपस में चंदा करना शुरू किया. कैलाश नाथ भारती के पुत्र राजेंद्र भारती ने अपने पास से पैसा देकर अपनी निगरानी में चार कमरों का निर्माण कराया तथा फरवरी 1955 में बंसत पंचमी के दिन विद्यालय का शुभारंभ कराया.
कक्षा पंचम से दशम वर्ग तक पढ़ाई की शुरूवात की गयी. प्रखंड में एकमात्र हाइ स्कूल शुरू होने से ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गयी. माराडीह में पूरे कुड़ू प्रंखड के साथ-साथ चंदवा, चान्हो, मांडर प्रखंड के बच्चों का नामांकन लिया गया. छात्रावास बनाया गया. जहां गरीब बच्चे रह कर पढ़ाई करते थे.