सुनील कुमार
लातेहार : शिक्षा विभाग द्वारा जिले में असैनिक कार्यो के तहत कुल 4806 योजनाएं एक जूनियर इंजीनियर (जेइ) व एक सहायक अभियंता (एइ) के जिम्मे है. प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में 45590 मीटर चहारदीवारी निर्माण भी इन्हीं की देखरेख में हो रहा है. नेतरहाट से गोनिया (बालूमाथ) तक 340 किमी तक में फैले विद्यालयों में निर्माण कार्य इन्हीं के भरोसे हो रहे हैं.
आरटीआइ से प्राप्त जानकारी में यह बात सामने आयी है. जानकारों का कहना है कि इन दो अभियंताओं द्वारा साल के 365 दिन भी योजनाओं का भौतिक निरीक्षण किया जाये, तो इन्हें एक दिन में कम से कम 14 योजनाओ का निरीक्षण करना होगा, जो संभव नहीं है. जिला के शिक्षा विभाग में जेइ के आठ, एइ के तीन व इइ का एक पद सृजित है.
जेइ व एइ के पद पर सिर्फ एक-एक अभियंता पदस्थापित हैं, जबकि इइ का पद पिछले कई वर्षो से खाली है. जानकारी के अनुसार, शिक्षा विभाग के असैनिक कार्यो की मॉनिटरिंग सिर्फ एक इइ गणोश श्रीवास्तव द्वारा की जा रही है, जो मुख्यालय झारखंड राज्य शिक्षा परियोजना में कार्यरत हैं. जिले में कुल 1277 शासकीय विद्यालय हैं. इनमें 195 प्राथमिक विद्यालय, 125 मध्य विद्यालय, छह कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय, 346 उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय, 299 उत्क्रमित मध्य विद्यालय व छह अल्पसंख्यक विद्यालय हैं.
सिर्फ एक स्कूल भवन के निर्माण में अनियमितता : शिक्षा विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक जिले भर में असैनिक कार्यो की प्रगति संतोषजनक है. काम की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है. सिर्फ बरवाडीह प्रखंड के मुरु प्राथमिक विद्यालय भवन के निर्माण में अनियमितता बरती गयी है. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मुरु में 11 की जगह नौ पिलर ही डाले गये.
कई भवनों की छत व दीवारों में दरारें : वहीं वास्तविक स्थिति कुछ अलग है. बताया गया कि शायद ही कोई योजना में प्राक्कलन के अनुरूप कार्य हो रहा है. कई भवन ऐसे हैं, जहां पहली बरसात में ही छत व दीवारों पर दरारें दिख रही हैं. कुछ विद्यालय भवन ध्वस्त होने की स्थिति में हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
‘‘सरकार के स्तर पर अभियंताओं की पोस्टिंग नहीं हो पा रही है, तो मैं क्या कर सकता हूं.
पुरुषोत्तम रमाकांत पांडेय, जिला शिक्षा अधीक्षक
‘‘पूर्व पदस्थापित कनीय अभियंता ऋषिकांत चौधरी चतरा जिले में प्रतिनियुक्ति पर हैं. उनके सहयोग से काम हो
जाता है.
कृष्णा राम, जेइ
‘‘मैं पिछले पांच वर्षो से दिन भर काम रहा हूं, तभी असैनिक कार्य हो रहे हैं.
दिलीप सिंह, एइ