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जीत के बाद और बढ़ी डाॅ नीरा की चुनौतियां

कोडरमा : बेशक कांटे की टक्कर से ही सही पर सूबे की पांच साल तक शिक्षा मंत्री का दायित्व संभालने वाली डाॅ नीरा यादव ने कोडरमा विधानसभा में दोबारा कमल खिला दिया. इस जीत के साथ ही उनकी चुनौतियां और बढ़ गयी है. खासकर चुनाव से पहले जिस तरह कोडरमा में बेरोजगारी व पलायन का […]

कोडरमा : बेशक कांटे की टक्कर से ही सही पर सूबे की पांच साल तक शिक्षा मंत्री का दायित्व संभालने वाली डाॅ नीरा यादव ने कोडरमा विधानसभा में दोबारा कमल खिला दिया. इस जीत के साथ ही उनकी चुनौतियां और बढ़ गयी है. खासकर चुनाव से पहले जिस तरह कोडरमा में बेरोजगारी व पलायन का मुद्दा जोर-शोर से उठा और क्रशर व ढिबरा उद्योग की बदहाली को लेकर सवाल सुलगते रहें.

उससे यह साफ है कि आनेवाले दिनों में डाॅ नीरा के सामने इन मुद्दों का समाधान निकालना बड़ी चुनौती होगी. खासकर ऐसे समय में जब प्रदेश में उनकी पार्टी भाजपा सत्ता से बेदखल हो गयी है.

इन समस्याओं के समाधान को लेकर रास्ता निकालना इतना आसान नहीं होगा. अभ्रक नगरी में रोजी-रोजगार के नाम पर व अन्य ज्वलंत मुद्दों को लेकर सभी दल वर्षों से राजनीतिक रोटियां सेंकते आये हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में भी यह बड़ा मुद्दा था और भाजपा ने एंटी एनकेंबसी व जनता के बीच की नाराजगी को देखते हुए जातीय समीकरण बैठा कर डाॅ नीरा को मैदान में उतारा था. उस समय नीरा ने राजद की कद्दावर नेत्री रही अन्नपूर्णा देवी को पराजित कर दिया था.
इस जीत के बाद पार्टी ने नीरा को इनाम देते हुए शिक्षा मंत्री का दायित्व सौंपा था. पिछले पांच साल तक वह मंत्री रहीं व क्षेत्र में कई बड़े विकास के कार्य किये. मेडिकल काॅलेज के शिलान्यास के अलावा इंजीनियरिंग काॅलेज, टीचर्स ट्रेनिंग काॅलेज, सभी प्रखंडों में डिग्री काॅलेज, जलापूर्ति, सड़क की विभिन्न योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम किया.
लेकिन चुनाव के वक्त सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी व क्रशर-ढिबरा उद्योग की बदहाली का सामने आया और इन विकास कार्यों की कम गिनतीकर विपक्षी इस पहलू को सामने लाते रहें. इसके अलावा कोडरमा के मान-सम्मान को बचाने की बात करते हुए विपक्षी दलों ने मोर्चा संभाला. यहीं कारण रहा कि जनता के बीच अलग तरह का माहौल दिखा. इस माहौल को भांपते हुए जब-जब भाजपा के बड़े नेताओं की सभा हुई. सभी ने क्रशर व ढिबरा उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए ठोस पहल करने का आश्वासन दिया.
मरकच्चो में जब सीएम रघुवर दास ने सभा को संबोधित किया था, तो उन्होंने भी दोबारा सरकार बनने पर इन दोनों उद्योग को लेकर स्पष्ट नीति बनाने की बात कही थी. पर अब जब वे खुद चुनाव हार कर सत्ता से बेदखल हो गये हैं, तो कोडरमा से जीत हासिल करने वाली डाॅ नीरा की चुनौतियां साफ तौर पर बढ़ गयी हैं.
कोडरमा की अधिकतर आबादी इन दोनों व्यवसाय को लेकर सुरक्षित वातावरण व लचीला कानून बनाने की मांग करती रही हैं. ऐसे में ये दो मुद्दे सबसे पहले डाॅ नीरा के सामने होंगे, जिसका समाधान निकालने को लेकर उनके सामने जन दबाव भी होगा. यहीं नहीं क्रशर उद्योग को लेकर चर्चित डोमचांच इलाके से दोबारा भाजपा को निर्णायक बढ़त मिली है. इस लिहाज से भी लोगों की उम्मीदें अपने विधायक से बढ़ी हुई रहेंगी.

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