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मानवता को समर्पित सत्य साईं बाबा का जीवन

रांची : भारत संतो, महात्माअों, पीरों-फकीरों, गुरुअों की भूमि है. यहां सत्य, धर्म, शांति प्रेम व अहिंसा के संदेशवाहक भगवान श्री सत्य साईं बाबा का सामाजिक और क्रांति के सूत्रधार बन कर मानवता के कल्याण हेतु अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया. 23 नवंबर, 1926 को अांध्र प्रदेश के जिला अनंतपुर के एक छोटे से गांव […]

रांची : भारत संतो, महात्माअों, पीरों-फकीरों, गुरुअों की भूमि है. यहां सत्य, धर्म, शांति प्रेम व अहिंसा के संदेशवाहक भगवान श्री सत्य साईं बाबा का सामाजिक और क्रांति के सूत्रधार बन कर मानवता के कल्याण हेतु अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया.
23 नवंबर, 1926 को अांध्र प्रदेश के जिला अनंतपुर के एक छोटे से गांव में पुट्टापर्ती में सत्यनारायण राजू (बाबा के बचपन का नाम) का जन्म हुआ. कहते हैं कि इनके जन्म के समय पर ऐसी-ऐसी चमत्कारी घटनाएं हुईं, जिसे देख लोग आश्चर्यचकित रह गये. 14 वर्ष की अल्पायु में श्री सत्यनारायण राजू ने अपने परिवार, माता-पिता एवं निकट संबंधियों से नाता तोड़ लिया और कहा कि वह शिरडी के साईं बाबा हैं और उनकी मृत्यु के आठ वर्ष बाद मैंने सत्यनारायण के रूप में जन्म लिया है तथा अब मैं उनके शेष कार्यों को पूर्ण करूंगा. इतना कह कर बाबा ने घर त्याग दिया और वह वापस नहीं लौटे. गांव में एक पेड़ के नीचे बैठ कर अपना जीवन व्यतीत करने लगे.
सन 1949 में पुट्टापर्ती गांव से लगभग एक मील दूर बाबा ने एक आश्रम का निर्माण करवाया जिसका डिजाइन बाबा ने स्वयं तैयार किया था. 28 नवंबर, 1950 को बाबा के 24वें जन्म दिवस पर इस आश्रम का विधिवत उदघाटन किया गया. यह आश्रम आज प्रशांति निलयम (शांति का घर) के नाम से प्रसिद्ध है. यहां आज देश से नहीं विश्व में फैले बाबा के करोड़ों अनुयायी नतमस्तक हो बाबा का आशीर्वाद ग्रहण करते हैं. यह आश्रम विश्व में विशाल आध्यात्मिक, शैक्षणिक और सेवा का केंद्र बन चुके हैं. यहां हृदय रोगों से संबंधित आधुनिक सुविधाअों से युक्त एशिया का सबसे बड़ा अस्पताल है, जहां हृदय रोगियों का नि:शुल्क उपचार किया जाता है.
प्रशांति नियम सेवा संगठन ने करोड़ों रुपये की लागत से 700 गांवों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था की है. सत्य साईं सेवा के नाम से पूर्ण विश्व में श्री सत्य साईं बाबा का मानव धर्म फैल चुका है. बाबा ने सदैव बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षक देने पर बल दिया. वह कहते थे बच्चे हमारे राष्ट्र का भविष्य हैं. नैतिक शिक्षा के ज्ञान से इनका चरित्र निर्माण होगा, जो राष्ट्र को सुदृढ़ बनाने में सहायक होगा. बाबा ने देश में अनेक शिक्षण संस्थाअों की स्थापना करायी. बाल विकास के नाम से कक्षाएं प्रारंभ की, जिनमें ज्ञान प्राप्त कर बच्चे अपना व्यक्तित्व निर्माण कर सकें.
बाबा कहते थे कि सत्य कभी मर नहीं सकता और असत्य जीवित नहीं रह सकता. शांति अपने भीत ढूंढ़ो और दूसरों से वही व्यवहार करो जो तुम स्वयं के लिए चाहते हो. इसके लिए विश्व में सत्य, धर्म, शांति, प्रेम व अहिंसा की स्थापना करो. 24 अप्रैल, 2011 को सामाजिक शैक्षणिक क्रांति के सूत्रधार, सत्य, धर्म, शांति, प्रेम व अहिंसा के संदेशवाहक भगवान श्री सत्य साईं बाबा इस नश्वर संसार को त्याग ब्रह्मलीन हो गये और पीछे छोड़ गये अपने अनमोल प्रवचन जो उनके करोड़ों भक्तों का मार्गदर्शन करते रहेंगे.

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