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शिकारियों से वन्य जीवों को बचायेंगे ग्रामीण

पटमदा समेत आसपास के इलाके में दी गयी खास ट्रेनिंग जमशेदपुर : दलमा में 8 मई को होने वाले सेंदरा पर्व में वन्य जीवों का शिकार न हो, इसे लेकर वन विभाग ने नया तरीका ढूंढ़ा है. दलमा के आसपास बनी इको विकास समिति और गांव के अन्य लोगों के साथ बैठक कर शिकार पर्व […]

पटमदा समेत आसपास के इलाके में दी गयी खास ट्रेनिंग

जमशेदपुर : दलमा में 8 मई को होने वाले सेंदरा पर्व में वन्य जीवों का शिकार न हो, इसे लेकर वन विभाग ने नया तरीका ढूंढ़ा है. दलमा के आसपास बनी इको विकास समिति और गांव के अन्य लोगों के साथ बैठक कर शिकार पर्व पर वन्य जीवों को कैसे बचाया जाये इस पर विचार किया जा रहा है. विभाग शिकारियों को दलमा आने से रोकने के लिए ग्रामीणों की मदद लेगा. शिकारियों की भाषा में ही ग्रामीण शिकार करने वालों को समझायेंगे और शिकार न करने की अपील करेंगे.
पटमदा के ग्रामीणों के बीच वन क्षेत्र पदाधिकारी आरपी सिंह ने दौरा कर उनसे बातचीत की और शिकार रोकने के लिए आदिवासी समुदाय के बीच जाकर आग्रह करने की बात कही. साथ ही ग्रामीणों से यह भी अपील की गयी कि अगर शिकारी जंगल में आते हैं तो कुछ ऐसा करें जिससे वन्य जीव भाग जायें और शिकारियों को उन्हें मारने का मौका न मिले. विभाग का मानना है कि इस मुहिम से वन्य जीवों की रक्षा हो सकेगी. शिकार को लेकर कड़े कानून, फिर भी विभाग लाचार
. शिकार को लेकर कड़े कानून बने हुए हैं और सजा के साथ ही अर्थदंड का भी प्रावधान है. बावजूद इसके दलमा में हर साल शिकार होता है और वन्य-जीव मारे जाते हैं. चूंकि सेंदरा आदिवासी परंपरा से जुड़ा हुआ है इसलिए वन विभाग इस पर्व को लेकर पूरी सख्ती नहीं बरत पाता है. यही वजह है कि इस दिन शिकार पर पूरी तरह रोक नहीं लग पाती है. जंगल में शिकारियों का दल तीर-धनुष और दूसरे पारंपरिक हथियारों से लैस रहता है. ऐसे में उन्हें सीधे रोकना विभाग के लिए मुश्किल होता है. विभाग लोगों को जागरूक कर सेंदरा पर विराम लगाना चाहता है. हालांकि पिछले कुश वर्षों में शिकार में कमी आयी है.

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