नागरिक अधिकार सुरक्षा समिति के सम्मेलन में पारित किया गया पांच प्रस्ताव
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नगर निगम बने व तीसरे मतदान का अधिकार मिले
नागरिक अधिकार सुरक्षा समिति के सम्मेलन में पारित किया गया पांच प्रस्ताव नगर निगम का गठन नहीं करना सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना जमशेदपुर : जमशेदपुर नागरिक अधिकार सुरक्षा समिति की रविवार को आयोजित सम्मेलन में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार जमशेदपुर में नगर निगम बनाने तथा लोगों को तीसरे मतदान का अधिकार देने समेत […]
नगर निगम का गठन नहीं करना सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना
जमशेदपुर : जमशेदपुर नागरिक अधिकार सुरक्षा समिति की रविवार को आयोजित सम्मेलन में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार जमशेदपुर में नगर निगम बनाने तथा लोगों को तीसरे मतदान का अधिकार देने समेत पांच प्रस्ताव पारित किये गये. सम्मेलन में जमशेदपुर अक्षेस को भंग कर नगर निगम गठन की मांग की गयी तो अौद्योगिक नगर बनाने के प्रस्ताव का विरोध किया गया. वक्ताअों ने कहा कि टाटा कंपनी नाम मात्र के लगान पर 10-12 हजार एकड़ से अधिक जमीन लेकर उसके शर्तों का उल्लंघन करते आ रही है. सीएजी की रिपोर्ट में भी 47 सौ करोड़ के राजस्व के नुकसान की बात कही गयी है.
सम्मेलन में कहा गया कि नगर निगम की अधिसूचना के खिलाफ टाटा स्टील द्वारा दायर अपील को हाल में वापस ले लिया गया है, इसलिए नगर निगम का गठन नहीं करना जवाहर लाल शर्मा द्वारा दायर मुकदमे में 21 अगस्त 1989 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले की अवमानना होगी. सम्मेलन में संकल्प लिया गया कि जमशेदपुर में दोहरी व्यवस्था के खिलाफ आम लोगों को गोलबंद कर सरकार को बाध्य किया जायेगा, ताकि शहर के लोगों को तीसरे मताधिकार का हक अौर बाशगित भूमि का हक मालिकाना हक मिले. सम्मेलन की अध्यक्षता टीएन अोझा, संचालन जय प्रकाश शर्मा एवं धन्यवाद ज्ञापन अरुण कुमार सिंह ने किया. सम्मेलन को जवाहर लाल शर्मा, कुंजल लकड़ा, मंथन, शशि कुमार, ब्रह्मदेव शर्मा, एसएन सिंह, महेश्वर ठाकुर, शिया शरण शर्मा, जय प्रकाश पंडित, योगेश शर्मा ने संबोधित किया तथा सम्मेलन में लाल बहादुर सिंह, घनश्याम, मुन्ना भट, सोना राम नाम समेत 22 बस्तियों के प्रमुख मौजूद थे.
पारित प्रस्ताव
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार नगर निगम बने अौर लोगों को तीसरे मतदान का अधिकार मिले
टाटा कंपनी को दी गयी लीज जमीन पर सरकार पुनर्विचार करे, कंपनी लीज समझौते का उल्लंघन कर रही है
सीएजी की रिपोर्ट की पारदर्शी जांच हो अौर 47 सौ करोड़ राजस्व हानि पर कार्रवाई हो
दशकों से बसी सैकड़ों बस्तियों के लोगों की बाशगित भूमि का मालिकाना/ नियमितिकरण सरकार शीघ्र करे
आबादी अौर रोड ट्रैफिक को नजर अंदाज कर आबादी वाले इलाके में टाटा के विस्तार पर रोक लगे, प्रदूषण से राहत दिलाये
टाटा लीज से बाहर की गयी जमीन को पुन: टाटा लीज में नहीं दिया जाये
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