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झारखंड की पूर्व सांसद सुमन महतो ने कहा : इंसाफ नहीं मिला, तो बेटियों के साथ आत्मदाह को होऊंगी बाध्य

सांसद की हत्या का पछतावा है, ताे समाधि पर फूल चढ़ायें नक्सली : सुमन जमशेदपुर : शहीद सांसद सुनील महताे की पत्नी पूर्व सांसद सुमन महताे ने कहा कि आत्मसमर्पण करनेवाले नक्सलियाें द्वारा यह कहना कि सांसद की हत्या का उन्हें पछतावा है, इतना कह देना ही काफी नहीं हाेगा. अगर उन्हें वाकई में पछतावा […]

सांसद की हत्या का पछतावा है, ताे समाधि पर फूल चढ़ायें नक्सली : सुमन
जमशेदपुर : शहीद सांसद सुनील महताे की पत्नी पूर्व सांसद सुमन महताे ने कहा कि आत्मसमर्पण करनेवाले नक्सलियाें द्वारा यह कहना कि सांसद की हत्या का उन्हें पछतावा है, इतना कह देना ही काफी नहीं हाेगा. अगर उन्हें वाकई में पछतावा है, ताे वे चार मार्च काे आयाेजित शहीद सांसद सुनील महताे की पुण्यतिथि पर स्मारक स्थल-समाधिस्थल पर आकर पुष्प अर्पित कर माफी मांगे आैर कहे कि गलत किया, तभी समझा जायेगा कि उन्हें अपने गलती कर पछतावा है.
प्रभात खबर से बातचीत करते हुए सुमन महताे ने कहा कि सरकार व प्रशासन की नक्सलियाें के खिलाफ क्या पॉलिसी है, वे नहीं जानती. अंधाधुंध तरीके से नक्सलियाें काे सरेंडर कराकर उनके कारनामाें काे प्रकाशित करवा कर उन्हें महिमा मंडित कर उन सैकड़ाें परिवाराें काे दुख प्रदान किया जा रहा है, जिनके बेकसूर परिजन इन लाेगाें के हाथाें मारे गये. सरेंडर करनेवालाें काे हाथाें-हाथ लाखाें-कराेड़ाें के चेक प्रदान कर प्रशासन जनता के बीच गलत संदेश प्रदान कर रहा है.
उनके जैसे सैकड़ाें लाेग आज भी सीने में इंसाफ की उम्मीद लगाये जिंदा है. वे प्रशासन काे सीधे ताैर पर चेतावानी देना चाहती है कि यदि उन्हें शहीद सांसद सुनील महताे हत्याकांड में इंसाफ नहीं मिला, ताे वे अपनी दाेनाें बेटियाें के साथ आत्मदाह के लिए मजबूर हाे जायेंगी आैर इसके लिए जिला प्रशासन, सीबीआइ आैर राज्य सरकारजिम्मेदार हाेंगे.
सुनील महतो अकेले नहीं थे जो नासुस की मदद कर रहे थे. पूर्व सांसद सुमन महताे ने कहा कि नासुस काे मदद करने के कारण शहीद सुनील महताे की हत्या कर दी गयी, इस बयान काे वे सिरे से खारिज करती हैं. सुनील महताे अकेले नहीं थे जाे नासुस का मदद कर रहे थे.
नासुस जिला प्रशासन द्वारा खड़ा किया गया संगठन है. जनप्रतिनिधि हाेने के नाते सुनील महताे सदस्याें से मिलते थे, दुख-सुख साझा करते थे. सिर्फ सुनील महताे ही मददगार थे, उन्हीं काे टारगेट बनाया गया, ऐसा कह देने मात्र से काम नहीं चलेगा. विगत एक सप्ताह से नक्सलियाें काे पुलिस समाज के हीराे की तरह जनता के सामने पेश कर रही है.
आत्मसमर्पण करने-कराने की प्रक्रिया के वे खिलाफ नहीं है, लेकिन वे पूछना चाहती हैं कि क्या प्रशासन के लाेगाें ने उनके जैसे पीड़िताें के दुख-दर्द जानने की भी कभी साेची. नक्सलियाें का बिना जांच के हाथाें-हाथ चेक प्रदान किये जा रहे हैं आैर जिनके घर के लाेग शहीद हुए, उन्हें कुछ देने से पहले साै बार पूछताछ की जाती है, इस तरह की दाेहरी नीति क्याें. दस साल के बाद अचानक वह सारा घटनाक्रम फिर ताजा हाे गया है, उनकी राताें की नींद खत्म हाे गयी है. घर पर वे अपनी बेटियाें के साथ किसी तरह की सूचना साझा नहीं करती है.
जमशेदपुर. गुड़ाबांदा के जियान गांव की नागरिक सुरक्षा समिति (नासुस) के लोग मंगलवार को डीसी एवं एसएसपी से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे, लेकिन उनसे कोई नहीं मिला. इस पर नाराजगी जताते हुए सभी वापस लौट गये.
नासुस के प्रदेश अध्यक्ष शैलेंद्र बास्के ने बातचीत में प्रभात खबर को बताया कि सरकार नक्सलियों को सरेंडर कराने के लिए नई पॉलिसी लागू कर रही है. सरकार सरेंडर करने वाले नक्सलियों को मान-सम्मान देने के साथ ही उनके परिवार का खर्च उठा रही है, लेकिन नक्सलियों ने जियान में नासुस के जिन लोगों की हत्या कर दी, कइयों को बेघर कर दिया, उनके बारे में सरकार कुछ नहीं सोच रही है. सरकार की नीति नासुस को गलत कदम उठाने की तरफ ले जा रही है.
उन्होंने कहा कि नासुस ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा, लेकिन सरकार उस पर कोई निर्णय नहीं ले रही है. एसएसपी कार्यालय पहुंचे नासुस सदस्यों में मुख्य रूप से नासुस के उपाध्यक्ष मोहन सिंह सोरेन, महासचिव रामबाबू मुर्मू, सचिव मेघराई हांसदा, कोषाध्यक्ष राइमत किस्कू आदि शामिल थे.

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