500-1000 के पुराने नाेट के बंद हाेने का समय जैसे-जैसे करीब आता जा रहा है, बैंकाें में आय से अधिक रकम जमा करानेवालाें की धड़कनें तेज हाेनी शुरू हाे गयी हैं. आयकर विभाग अभी तक तीन ऐसे बड़े आैर एक दर्जन से अधिक छाेटे खाताधारकाें के खाते खंगाल चुका है, जिनके खाते में अधिक राशि जमा हैं. उन्हाेंने विभाग के सामने टैक्स जमा कराने का वायदा भी किया है.
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1600 बैंक खाताें पर आयकर की नजर
जमशेदपुर: शहर के विभिन्न बैंकाें के 1600 से अधिक बैंक खाताें का डिटेल आयकर विभाग के पास पहुंच गया है, जिनमें उम्मीद से अधिक की राशि जमा करायी गयी है. इनके स्रोत के बारे में आयकर विभाग के अधिकारी अपने स्तर से पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं. जरूरत पड़ने पर संबंधित खाताधारक के […]
जमशेदपुर: शहर के विभिन्न बैंकाें के 1600 से अधिक बैंक खाताें का डिटेल आयकर विभाग के पास पहुंच गया है, जिनमें उम्मीद से अधिक की राशि जमा करायी गयी है. इनके स्रोत के बारे में आयकर विभाग के अधिकारी अपने स्तर से पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं. जरूरत पड़ने पर संबंधित खाताधारक के ठिकानाें पर दस्तक भी दी जायेगी.
बैंक के संपर्क में अधिकारी
आयकर अधिकारी लगातार बैंकाें के संपर्क में हैं. बैंकाें से जाे जानकारियां मिल रही हैं, अभी भी बैंकाें में पैसा जमा कराये जाने का काम लगातार जारी है. जिन खाताधारकाें ने पहले बैंकाें में पैसे जमा कराये थे, उनके खाताें से काफी पैसे निकल भी गये हैं. बावजूद इसके उनके खाताें में पैसा जमा हाे रहे हैं. आयकर अधिकारियाें ने बताया कि तय सीमा से अधिक जमाबंदी का जवाब खाताधारक काे देना हाेगा. खाताधारक यदि पैसा जमा कराकर पैसा निकाल ले रहे हैं, ताे इसका अर्थ यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि वे विभाग के निशाने पर नहीं हैं. बैंकाें से मिली जानकारी के अनुसार जनधन याेजना के खाताें के अलावा हजाराें ऐसे खाते हैं, जिनमें नाममात्र ही जमा राशि थी, उनमें अचानक इतना डिपाेजिट डाल दिया गया है कि वे अब वे तय लिमिट के करीब आ गये हैं.
बैंक लॉकर पर भी नजर
बैंक में नगद जमाबंदी के साथ-साथ लॉकर पर भी सख्त निगाहबानी की जा रही है. पहले लॉकर खाेलने आैर बंद करने के दाैरान अधिकारी उतना सख्त पहरा नहीं लगाते थे, लेकिन इन दिनाें लॉकर में रखे जानेवाले सामान काे एक बारगी देखने से बैंक पदाधिकारी परहेज नहीं कर रहे हैं. लॉकर में नये नाेट के रखाव पर भी बैंक अधिकारियाें काे नजर रखने काे कहा गया है.
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