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68 बंदियों की आंखें कमजोर
स्पष्ट रूप से अक्षर देख पाने में हो रही परेशानी जेल में चिकित्सा कैंप लगाने की जरूरत जमशेदपुर : घाघीडीह सेंट्रल जेल में बंद ज्यादातर बंदियों को आंखों से कम दिखता है. इसका खुलासा हाल में ही बंदियों की पढ़ाई के लिए जेल में चल रहे स्कूली कक्षा में हुआ. जब यह पाया गया कि […]
स्पष्ट रूप से अक्षर देख पाने में हो रही परेशानी
जेल में चिकित्सा कैंप लगाने की जरूरत
जमशेदपुर : घाघीडीह सेंट्रल जेल में बंद ज्यादातर बंदियों को आंखों से कम दिखता है. इसका खुलासा हाल में ही बंदियों की पढ़ाई के लिए जेल में चल रहे स्कूली कक्षा में हुआ. जब यह पाया गया कि 125 में से 68 बंदियों को शब्द देखने में परेशानी हुई. अगर सभी बंदियों की नेत्रों की जांच हो तो इनकी संख्या चार सौ से ज्यादा हो सकती है. जेल प्रशासन ने नेत्र सहित अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक काे हर माह जेल आकर बंदियों का इलाज के लिए पूर्व में सिविल सर्जन को पत्र लिखा था,लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक की तैनाती अब तक नहीं हुई.
1537 बंदियों पर एक डॉक्टर. इस जेल में 1537 बंदियों (महिला, पुरुष सहित) पर एक डॉक्टर की स्थायी तैनाती है. अन्य पद रिक्त हैं. बंदी ही बंदियों को सूई, दवा, महलम, पट्टी बंदी ही करते हैं. हालांकि एक महिला डॉक्टर को जेल में इलाज के लिए अस्थायी तौर पर नियुक्त किया गया है. तबीयत बिगड़ने पर बंदियों को एमजीएम अस्पताल लाया जाता है.
इस बार मैट्रिक-इंटर का एक भी परीक्षार्थी नहीं. बुधवार से शुरू हो रही मैट्रिक, इंटर की परीक्षा में जेल से एक भी परीक्षार्थी शामिल नहीं होगा. पूर्व में जेल से मैट्रिक, इंटर के परीक्षार्थी शामिल हुआ करते थे.
क्या है पूरा मामला
बंदी कुणाल जेना, प्रोफेसर गोविंद झा, तारकेश्वर शर्मा, शादाब उर्फ ननका के प्रयास से जेल में बंदियों को पढ़ाने की व्यवस्था की गयी. बंदी समेत दो टीचर प्रतिदिन सुबह 10 से दोपहर 2:30 बजे तक रघुनाथ मुर्मू कक्ष में निरक्षर बंदियों को पढ़ाते हैं. बंदियों को आंखों से स्पष्ट नहीं दिखने से बंदियों की पढ़ाई बाधित हो रही है.
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