पटमदा: इच्छा शक्ति मजबूत हो और जीवन में कुछ करने की तमन्ना, तो उम्र आड़े नहीं आती. युवा जो कभी सोच नहीं सकते, बुजुर्ग वैसे काम कर दिखाते हैं. ऐसा ही एक उदाहरण बन कर सामने अाये हैं पटमदा के गाड़ीग्राम निवासी 85 वर्षीय अतुल सिंह. दिन-रात मेहनत कर साढ़े तीन वर्षों में अकेले सौ फीट चौड़ा और सौ फीट लंबा तालाब खोद डाला.
पथरीली जमीन होने के कारण काम मुश्किल जरूर था, पर अतुल की दृढ़ ईच्छा शक्ति उनके हौसले को डिगा नहीं पायी. पथरीली जमीन पर 10 फीट गहरी खुदाई के बाद भी अब तक तालाब में भूजल का स्रोत नहीं पसीजा. तब भी इस जर्जर हो चुके हाड़-मांस के इंसान ने हार नहीं मानी. कड़ाके की ठंड में भी पानी की आस में अतुल सिंह लगातार मेहनत कर रहे हैं. उन्हें विश्वास है कि वे इस उम्र में भी तालाब में पानी निकाल कर ही दम लेंगे. और जीते-जी वह यह काम कर देना चाहते हैं.
वह इस तालाब के पानी से अपने खेतों को हरा-भरा करना चाहते हैं. उनका लक्ष्य अपने खेतों में आम, जामुन, नींबू, कटहल, केला आदि के 1000 से अिधक पौधे लगाना है और जिसकी सिंचाई इस तालाब के जरिये होगी. साथ ही वे अपनी फसलों को भी इससे सिंचना चाहते हैं. अभी धान की फसलें पूरी तरह वर्षा पर निर्भर है, तालाब हो जाने से इसके लिए भी अच्छी पैदावार हो पायेगी. हालांकि अपने हरित क्रांति के अिभयान को अभी भी वे जारी.
सर्विस की क्या जरूरत, जब केला का अपना बागान होगा
अपनी उम्मीद भरी आंखों से अतुल कहते हैं कि सर्विस करने का क्या मतलब, जब उनके पास दो एकड़ में लगे केला बागान हो. पेड़ों की रक्षा के लिए पानी बहुत जरूरी है. अतुल ने कहा-आमी गाछ पातेर साथे कोथा बोली. उन्होंने कहा कि वे क्षेत्र में हरित क्रांति लाना चाहते हैं, उनसे युवा वर्ग कुछ सीखे और इस तरह के कार्य में रुचि ले, यही वह चाहते हैं. अगर उम्र ने साथ दिया तो, वे यहां विशाल केला बागान बनायेंगे और आस-पास के शहरों में केले की आपूर्ति करेंगे. अभी उनका गुजारा वृद्धा पेंशन से होता है, लेकिन वे कहते हैं कि जब केला का बागान होगा तो सबे देखते रह जायेंगे.