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नशे, अशिक्षा और कचरे के ढेर में खोता बचपन

जमशेदपुर: हर वर्ष बाल दिवस मनाया जाता है और बच्चों के उत्थान की घोषणा की जाती है, लेकिन एक सर्वे के अनुसार जिले में अब भी 1193 बच्चे भीख मांग कर खाते हैं, जबकि 110 बच्चे भूखे रात-दिन गुजारते हैं, 9586 बच्चे नशा के शिकार हैं और 1637 बच्चों को सड़क पर सोना पड़ता है. […]

जमशेदपुर: हर वर्ष बाल दिवस मनाया जाता है और बच्चों के उत्थान की घोषणा की जाती है, लेकिन एक सर्वे के अनुसार जिले में अब भी 1193 बच्चे भीख मांग कर खाते हैं, जबकि 110 बच्चे भूखे रात-दिन गुजारते हैं, 9586 बच्चे नशा के शिकार हैं और 1637 बच्चों को सड़क पर सोना पड़ता है.

सर्वे की इस रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि इनमें से अधिकांश बच्चों तक शिक्षा का प्रकाश नहीं पहुंच पा रहा है.इन बच्चों के विकास के बिना बाल दिवस मनाने का उद्देश्य सफल नहीं हो पायेगा.

सर्वे करने वाली संस्था बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के संयोजक सह झारखंड बाल कल्याण परिसर के सदस्य सदन कुमार ठाकुर के अनुसार हर वर्ष बाल दिवस मनाया जाता है, जबकि बाल संरक्षण अधिनियम का खुल्लम -खुल्ला उल्लंघन हो रहा है. बच्चों के संरक्षण के लिए आयोग बने हुए हैं. बावजूद इसके बाल मजदूरी, नशा खोरी, भुखमरी नहीं रूक रही है.

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