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…उनकी आमद से जमाने के मुकद्दर जागे

…उनकी आमद से जमाने के मुकद्दर जागेअल्लामा अरशदुल कादरी का कुल शरीफ उर्स आज, चादर पाेशी भीउपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर अल्लामा कादरी के 14वें उर्स मुबारक माैके पर जुमा (शुक्रवार) की रात मुकाबला का आयाेजन किया गया. इस साल भी जानशीन कायदे अहले सुन्नत हजरत अल्लामा डॉ गुलाम जरकानी कादरी ने दो मिसरा -ए तरह कुरबे […]

…उनकी आमद से जमाने के मुकद्दर जागेअल्लामा अरशदुल कादरी का कुल शरीफ उर्स आज, चादर पाेशी भीउपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर अल्लामा कादरी के 14वें उर्स मुबारक माैके पर जुमा (शुक्रवार) की रात मुकाबला का आयाेजन किया गया. इस साल भी जानशीन कायदे अहले सुन्नत हजरत अल्लामा डॉ गुलाम जरकानी कादरी ने दो मिसरा -ए तरह कुरबे खलिक में थे वह अर्ज व समा से पहले …और उन की आमद से जमाने के मुकद्दर जागे…का इंतेखाब किया. इन दोनों मिसरो के तहत हिंदुस्तान के मशहूर व माअरूफ शाेरा ए कराम ने कलाम पेश किया. अल्लामा अरशदुल कादरी चैरिटेबल इंटरनेशनल के माध्यम से अखिल भारतीय मुकाबले का आयोजन भी किया गया. इस अवसर पर डॉ गुलाम जरकानी, राशिद रजा, एहेनुद्दीन खान, अलहाज कासिम अजीजी, फजल खान, माैलाना माेख्तार, माैलाना गुलाम रब्बानी, माैलाना फैज रब्बानी, गुलाम शरानी, माैलाना जिलानी, माैलाना यजदानी के अलावा बड़ी संख्या स्थानीय लाेग माैजूद थे. शनिवार काे शाम 4:35 बजे अल्लामा अरशदुल कादरी की मजार पर कुल शरीफ का आयाेजन किया जायेगा. इस अवसर पर कई तंजीमाें द्वारा वहां चादरपाेशी की जायेगी. मुशायरे में पेश की गयी गजलहम वफादार हैं इस वास्ते हम रुकते हैं जिनकाे एहसास ए निजामत है वह कम रुकते हैंआप ताे उस हद ए इदराक से आगे भी गयेजिस जगह जाके फिरश्ताें के भी, दम रुकते हैं…देख ए दिल यह कहीं अरज ए मदीना ताे नहीं, क्याें जमीं झुकती है, क्याें मेरे कदम रुकते हैं-हबीब हाशमी, काेलकाता———चूम कर सरबर ए आलम के कुदुम ए अतहर, हजरत ए बुलबुले सिदरा के मुकद्दर जागे-खुर्शीद आलम फैजी भागलपुरी———-आदम व हव्वा ही क्या, काैनाे मका से पहले कुरबे खालिक में थे व आरजाे समा से पहले -शहजाद आलम आेड़िशा———-अर्स ता फर्श, जमी आैर समंदर जागे, उनकी आमद से जमाने के मुकद्दर जागे-माैलाना शर्फुद्दीन——सैकड़ाें दीप जले रुहे जमीन पर लेकिन राैशनी हाे न सकी सल्ले अलहा से पहले -माेहम्मद असलम रजा बेलाली——मादरे इल्म तेरी अजमत व शाैकत काे सलाम, तेरी आवर से यह सारे सुख अनवर जागे -खुर्शीद आलम फैजी भागलपुरयह जमीं जागी, सजर जागे, समुंदर जागे उनकी आमद से जमाने के मुकद्दर जागे, हुस्न ए अवतार में अनवार के मंजर जागे, उनकी आमद से जमाने के मुकद्दर जागे -कलाम शाैकत अली सादिक, हावड़ा— माैजूद थे ये शायर : हबीब हाशमी काेलकाता, दिलकश राचवी रांची, हसन रजा अतहर बाेकरवी, असगर ग्यारहवी, नसीम अख्तर फैजी, अशरफ बनारसी, दिलकश बाेकरवी, ताबिश बाेकरावी, माेहम्मद तारिक, अरशद अतहर, अब्दुल रशीद, माैलाना मंजर, माेहम्मद रफीक अंजूम, शहजाद आलम, अब्दुल गफ्फार रजवी, माैलाना मंसूर फरीदी, लाल माेहम्मद फरहद मधाेपुरी, असलम फैजी, जया अबादी, अख्तर नूरी बरेलीशरीफ, हफीज अब्दुल रशीद, अब्दुल कुतुब जिगर, माैलाना शमशुल.

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