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आबुवा : दिशेम रे अवोवा : राज की कल्पना समाप्त होने की ओर : सुगनाथ

प्रतिनिधि, राजनगरसामुदायिक भवन रोला में मोठाय बास्के की अध्यक्षता में आदिवासी सेंगेल अभियान की प्रखंड स्तरीय बैठक संपन्न हुई. बैठक में आदिवासी मूलवासियों की समस्याओं का जिम्मेदार कौन व इसका समाधान पर विचार-विमर्श किया गया. बैठक को संबोधित करते हुए जिला संयोजक सुगनाथ हेंब्रम ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बनाने के लिए कई बहनों […]

प्रतिनिधि, राजनगरसामुदायिक भवन रोला में मोठाय बास्के की अध्यक्षता में आदिवासी सेंगेल अभियान की प्रखंड स्तरीय बैठक संपन्न हुई. बैठक में आदिवासी मूलवासियों की समस्याओं का जिम्मेदार कौन व इसका समाधान पर विचार-विमर्श किया गया. बैठक को संबोधित करते हुए जिला संयोजक सुगनाथ हेंब्रम ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बनाने के लिए कई बहनों के माथे के सिंदूर मिटे, कई माताओं की कोख खाली हुई. तब जाकर अलग राज्य झारखंड अलग राज्य मिला. अलग राज्य के पश्चात आबुवा दिशोम रे आबोवा राज की भी कल्पना की थी. वो भी समाप्त होते नजर आ रहा है. इसके जिम्मेवार झारखंड के सभी राजनैतिक दल हैं, क्योंकि इन्होंने झारखंड को 15 साल तक बारी-बारी से चलाया. लेकिन हाषा-भाषा, डोमिसाइल के लिए कभी भी कुछ नहीं किया. उन्होंने झामुमो को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि शिबू सोरेन मुख्यमंत्री रहते हुए उर्दू राज भाषा बना कर संताली भाषा को मार दिया. उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर आदिवासी और मूलवासियों की हाषा-भाषा, डोमिसाइल, इज्जत, आबादी चास-बास को लूटने नहीं देंगे. इसके लिए चाहे सिदो-कान्हू, बिरसा मुंडा की तर्ज पर आंदोलन ही क्यों न करना पड़े. उन्होंने कहा कि आगामी 20 जुलाई को चाईबासा में इन मुद्दों को लेकर सेंगेल मार्च किया जायेगा. बैठक में मुख्य रूप से कृष्णा सरदार, दिकुराम मुर्म, बिरसा हांसदा, गणेश मार्डी, सालगे मुर्मू, गौतम मुर्मू, सुरेश हांसदा समेत अन्य उपस्थित थे.

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