10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आदिम युग में रहने को अभिशप्त 4 सबर परिवार

डुमरिया: 21 वीं सदी में भी डुमरिया प्रखंड में विलुप्त हो रही आदिम जनजाति के कई सबर परिवार सरकारी उपेक्षा के कारण आदिम युग में जीने को अभिशप्त हैं. एक डुंगरी पर घर या फिर झोपड़ी की बजाय पत्ताें की खोली में रहते हैं. यह हाल है प्रखंड की खैरबनी पंचायत स्थित कांटाबनी गांव के […]

डुमरिया: 21 वीं सदी में भी डुमरिया प्रखंड में विलुप्त हो रही आदिम जनजाति के कई सबर परिवार सरकारी उपेक्षा के कारण आदिम युग में जीने को अभिशप्त हैं. एक डुंगरी पर घर या फिर झोपड़ी की बजाय पत्ताें की खोली में रहते हैं.

यह हाल है प्रखंड की खैरबनी पंचायत स्थित कांटाबनी गांव के गजातल टोला में चार सबर परिवारों का. प्रकृति के भरोसे, प्रकृति से लड़ कर प्रकृति प्रदत्त वृक्षों के पत्ताें की ढेर (कुमा) में रहते हैं. बदहाली की जिंदगी जी रहे इन गरीब सबरों पर नौकरशाहों की नजर नहीं पड़ी है, तभी तो इन्हें एक इंदिरा आवास भी नहीं मिला है. उक्त सबर परिवार सरकार और जन प्रतिनिधियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं. क्या हम इंसान नहीं है? क्या हम इंदिरा आवास के हकदार नहीं है? इंदिरा आवास पाने का आखिर मापदंड क्या है?

एक वृक्ष के तने से एक लाठी बांध कर और उस पर जंगली वृक्षों के पत्ताें को डाल कर इन परिवारों ने अपना आशियाना बनाया है. बरसात या फिर तपती दोपहरी में उक्त सबर अपने बच्चों के साथ आखिर कैसे रहते होंगे?
कैसे कटती होंगी बरसात और जाड़े की रातें. एक विचारणीय सवाल है. न तन पर पर्याप्त वस्त्र. न भरपेट भोजन. प्रकृति प्रदत्त जंगलों के भरोसे ही जी रहे हैं. पेयजल के लिए एक किमी दूर जाना पड़ता है. बीमार पड़ने पर जंगली जड़ी-बूटी का सहारा लेते हैं. इनके जॉब कार्ड भी नहीं बने हैं. सरकार द्वारा सिर्फ 25 किलो अनाज मिलता है. सोमवारी सबर अपने पुत्र के साथ पत्ताें के कुमे में सोयी थी. शरीर पर कई दाग थे. पूछने पर कहने लगी कि बीमार पड़ी थी. ठीक होने के लिए शरीर को गर्म छड़ से दागा था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें