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टाटा-ब्लूस्कोप से पीएन सिंह व विजय खान की यूनियन भंग

जमशेदपुर: टाटा-ब्लूस्कोप से पीएन सिंह व विजय खान की यूनियन को भंग कर दिया गया है. मैनेजमेंट द्वारा लगातार लिये जा रहे एकतरफा फैसले के बाद पीएन सिंह ने यूनियन में आना- जाना छोड़ दिया था और उससे अलग हो गये. इसके बाद इस यूनियन की मान्यता ही समाप्त कर दी गयी है. बताया जाता […]

जमशेदपुर: टाटा-ब्लूस्कोप से पीएन सिंह व विजय खान की यूनियन को भंग कर दिया गया है. मैनेजमेंट द्वारा लगातार लिये जा रहे एकतरफा फैसले के बाद पीएन सिंह ने यूनियन में आना- जाना छोड़ दिया था और उससे अलग हो गये. इसके बाद इस यूनियन की मान्यता ही समाप्त कर दी गयी है. बताया जाता है कि वर्तमान सरकार के एक मंत्री के रिश्तेदार की देखरेख में यूनियन संचालित करने की तैयारी की जा रही है और मैनेजमेंट भी इस पर लगभग राजी भी हो गयी है.
जानकारी के अनुसार वेज रिवीजन समझौता को लेकर मैनेजमेंट ने यूनियन को सात बार अलग-अलग प्रस्ताव दिया था. इन प्रस्तावों में सुधार करने के बाद यूनियन अध्यक्ष पीएन सिंह व डिप्टी प्रेसिडेंट विजय खान ने फिर से उसे मैनेजमेंट के पास भेज दिया. इसके बाद भी मैनेजमेंट ने एचआरए (हाउस रेंट एलाउंस) में बदलाव नहीं किया और जो इंक्रीमेंटल वैल्यू है, उस पर दस फीसदी की बढ़ोतरी एचआरए में कर दिया, जबकि यूनियन का तर्क था कि हर हाल में हर कंपनी की तरह ही मूल वेतन का दस फीसदी एचआरए तय किया जाये. लेकिन इस पर एकतरफा फैसला लेते हुए इसको एक अप्रैल 2015 से ही लागू कर दिया गया. इसके बाद पीएन सिंह ने कर्मचारियों के पास बैठक की लेकिन कर्मचारियों का भी उस यूनियन को पूरा समर्थन नहीं मिला. इसके बाद पीएन सिंह खुद यूनियन से अलग हो गये. अब मैनेजमेंट ने भी यूनियन की मान्यता को समाप्त कर दी है. टाटा ब्लूस्कोप में कई वर्षो तक यूनियन नहीं थी. बाद में पीएन सिंह और विजय खान की अध्यक्षता में यूनियन गठित की गयी थी. अब एक बार फिर से बिना यूनियन के ही कर्मचारी काम कर रहे हैं. इस बारे में मैनेजमेंट के आला अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गयी, लेकिन उनसे बातचीत नहीं हो पायी.
जहां समर्थन नहीं, वहां यूनियन नहीं चल सकती : पीएन सिंह
पीएन सिंह ने बताया कि वेज रिवीजन में अगर मैनेजमेंट एकतरफा फैसला ले लेती है. यूनियन को कर्मचारियों का समर्थन नहीं मिल पाता है तो वहां यूनियन में रहकर कोई फायदा नहीं है. मजदूर जिसको चाहेंगे, उनको अध्यक्ष बनायेंगे या यूनियन बनायेंगे, उससे हम अलग हो चुके हैं.

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