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विस्थापितों की जमीन लौटाये या मुआवजा दे प्रबंधन (15 हैरी 6)

उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुरझारखंड मूलवासी अधिकार मंच और रैयत संघर्ष समिति ने 18 मौजा के विस्थापितों की जमीन मूलवासियों को दिलाने के लिए आंदोलन का ऐलान किया है. आंदोलन की शुरुआत 20 फरवरी से की जायेगी. प्रथम चरण में बिष्टुपुर आर्मरी मैदान के पास पीएन बोस की मूर्ति पर माल्यार्पण कर गुजरनेवालों को गुलाब प्रदान किया […]

उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुरझारखंड मूलवासी अधिकार मंच और रैयत संघर्ष समिति ने 18 मौजा के विस्थापितों की जमीन मूलवासियों को दिलाने के लिए आंदोलन का ऐलान किया है. आंदोलन की शुरुआत 20 फरवरी से की जायेगी. प्रथम चरण में बिष्टुपुर आर्मरी मैदान के पास पीएन बोस की मूर्ति पर माल्यार्पण कर गुजरनेवालों को गुलाब प्रदान किया जायेगा. अगले चरण में टाटा प्रबंधन के सामने समिति विस्थापितों की जमीन वापस दिलाने की मांग करेगी. रविवार को निर्मल महतो गेस्ट हाउस में संयोजक हरमोहन महतो की अध्यक्षता में एक बैठक हुई. इसमें विस्थापित और प्रभावित काफी संख्या में उपस्थित थे. इस संबंध में हरमोहन महतो ने बताया कि टाटा प्रबंधन से मांग की जायेगी कि विस्थापितों की जमीन वापस की जाये. उन्हंे विस्थापित प्रमाण पत्र प्रदान किया जाये. शिड्यूल 4-5 की जमीन तुरंत वापस की जानी चाहिए. जहां रैयतों की जमीन पर कंपनी र्क्वाटर, अस्पताल, बाजार, मैदान एवं बस स्टैंड बने हैं, (यदि उस जमीन को वापस करना संभव नहीं है) तो मौजूदा बाजार मूल्य से रैयतों को उसका भुगतान किया जाना चाहिए. रैयतों की जमीन का आधार 1935-37 के पूर्व का सर्वे हो. बैठक में हरमोहन महतो, प्रहलाद गोप, उत्तम प्रधान, मदन कर्मकार, रेमा मुंडा, रुदन सिंह भूमिज, धनंजय सिंह सरदार, विश्वनाथ महतो, मंगल मांझी, शु़त्रघन वर्मा, अभिमन्यु गोप, लेंबो सांमत आदि अनेक मूल रैयत खातियानधारी उपस्थित थे.

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