अरुण सिंह और हर्षवर्धन के अधिवक्ता आनंद सेन ने के मुताबिक 28 जनवरी को फाइनल सुनवाई हो जाने के बाद फैसला भी आ सकता है.
इन लोगों ने यह भी कहा था कि जो आमसभा करायी गयी थी, उसमें यूनियन के सदस्यों और कर्मचारियों को 50 रुपये का कूपन देकर रजिस्टर पर हस्ताक्षर कराया गया था. इसके अलावा यूनियन की वर्तमान कमेटी का चूंकि संविधान के मुताबिक कार्यकाल पूरा हो चुका था, इस कारण उनको संविधान संशोधन या किसी सदस्य को निष्कासित करने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है. श्रमायुक्त ने इसको गलत ठहरा दिया था. लिहाजा, श्रमायुक्त के आदेश को कायम रखते हुए तत्काल डीसी व एसएसपी की देखरेख में चुनाव कराने की मांग की गयी है. इस मामले की सुनवाई चल रही है, जिसका फैसला आने का इंतजार हर पक्ष को है.