जमशेदपुर: अमेरिका में पुलिसिंग बहुत सख्त है. यह बात अमेरिका के इंडियाना से लौटे संत मेरीज इंग्लिश स्कूल की 11वीं के छात्र सुमित मित्र ने कही. सुमित का यूएस इंटरनेशनल एक्सचेंज एंड एजुकेशन स्कॉलरशिप के लिए चयन हुआ था. उसे एक वर्ष के लिए इंडियाना के काकेशियन परिवार के साथ रखा गया था. प्रभात खबर से हुई बातचीत में सुमित मित्र ने बताया कि अमेरिका में रहने के दौरान एक दिन जिम में उसका पर्स गिर गया, जिसे एक शख्स से उठा लिया. वह पर्स लेकर जिम से बाहर निकल ही रखा था कि सायरन बजने लगा.
इसके बाद उक्त व्यक्ति को पकड़ लिया गया. बाद में पता चला कि वहां जिम में प्रवेश करने के पहले ही जांच कर ली जाती है कि व्यक्ति के पास क्या-क्या है. बाहर निकलते वक्त एक भी सामान ज्यादा रहा तो वह पकड़ा जाता है. सुमित ने बताया कि वहां स्कूल में अटेंडेंस आइडी कार्ड के जरिये बनता है. पढ़ाई भी रेगुलर होने की बजाय टुकड़ों में होती है. वहां छुट्टी होने के बाद किताब कॉपी घर ले जाने की बजाय स्कूल के लॉकर में ही रखने होते हैं. टीचर और स्टूडेंट में फ्रेंडली रिलेशन होता है. लड़के और लड़कियों के बीच खास अंतर नहीं होता है.
शहर के तीन छात्र गये थे अमेरिका
सुमित मित्र के अलावा संत मेरीज की 11वीं के ही छात्र शुभम कुमार और डीएवी पब्लिक स्कूल, बिष्टुपुर के पूर्व छात्र शौर्या लिंका का भी उक्त स्कॉलरशिप के लिए चयन हुआ था. शुभम और शौर्या को मिनिसोटा के एक खेतिहर परिवार में एक वर्ष तक रखा गया.
भारत से गये छात्रों को इंडियाना के मेयर ने लंच के लिए आमंत्रित भी किया. इन छात्रों को अमेरिकी सरकार ने न सिर्फ अमेरिका में रखा, बल्कि उन्हें रहने, खाने-पीने, पढ़ने व पॉकेट खर्च के लिए हर महीने 125 डॉलर भी दिये. ये सभी छात्र शहर लौट आये हैं. झारखंड से तीन और देश भर से 37 छात्रों का स्कॉलरशिप के लिए चयन हुआ था.
हर साल होती है परीक्षा
अमेरिकी सरकार द्वारा हर साल भारत व दुनिया के अन्य देशों में एक परीक्षा ली जाती है. यह परीक्षा पास करने के बाद चयनित छात्रों को अमेरिका के किसी परिवार के साथ एक वर्ष तक रखा जाता है. ये छात्र अमेरिका में पठन-पाठन के साथ ही वहां की सभ्यता और संस्कृति को करीब से देखते हैं और उसके सकारात्मक पहलुओं को अपने देश के बच्चों को बताते हैं.