छत्तीसगढ़ी समाज नाम : त्रिलोक चंद जंघेलउम्र : 63 वर्ष मूल निवासी : छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ कस्बे से काम के प्रति समर्पण और अथक मेहनत के बदौलत आदमी सफलता के हर मुकाम को छू सकता है. ऐसा ही कुछ किया है छत्तीसगढ़ निवासी त्रिलोक चंद जंघेल ने. उनके पिता खेम चंद जंघेल छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ कस्बे से रोजगार की तलाश में शहर में आए थे. इस शहर ने उन्हें काम तो दिया ही, साथ ही और भी कई खुशियां दीं. पिता खेम चंद की तरह त्रिलोक चंद को भी इसी शहर में रोजगार मिला. उन्होंने स्कील्ड वर्कर के पद पर टाटा स्टील ज्वाइन किया. हालांकि, काम करते हुए भी पढ़ायी जारी रखी. पहले अप्रेंटिस और फिर मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर धीरे-धीरे आगे बढ़ते गए. एक स्कील्ड वर्कर से संस्थान में मैनेजर तक पहुंचे. त्रिलोक चंद काम करते थे और उनकी पत्नी भगवती देवी परिवार संभालती थीं. पास-पड़ोस के लोगों ने भी हर मौके पर उनका साथ दिया. दोनों बच्चों ने इसी शहर में प्रारंभिक शिक्षा हासिल की. आज वे सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं. बेटी यूएसए में और बेटा बंगलुरु में काम कर रहा है. फिलहाल त्रिलोक चंद जंघेल कंपनी के रिसर्च एंड डेवलेप्मेंट डिपार्टमेंट से रिटायर हो चुके हैं. वह कहते हैं कि इस शहर ने उन्हें इतना प्यार दिया कि गांव की कमी नहीं खलती.
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मिला रोजगार तो पढ़ा परिवार
छत्तीसगढ़ी समाज नाम : त्रिलोक चंद जंघेलउम्र : 63 वर्ष मूल निवासी : छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ कस्बे से काम के प्रति समर्पण और अथक मेहनत के बदौलत आदमी सफलता के हर मुकाम को छू सकता है. ऐसा ही कुछ किया है छत्तीसगढ़ निवासी त्रिलोक चंद जंघेल ने. उनके पिता खेम चंद जंघेल छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ […]
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