जमशेदपुर: बागबेड़ा के गाढ़ाबासा निवासी राजेदव सिंह की बहादुरी और दुश्मन पर सटीक निशाना साधने की काबिलीयत की वजह से 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सेना आसानी से ढाका तक पहुंचने में कामयाब हुई थी. 5 पैरा मिलिट्री में तैनात राजदेव सिंह की पहली पोस्टिंग चाइना बॉर्डर के पास हुई थी.
जब पाकिस्तान से युद्ध के आसार दिखने लगे, तब उन्हें अगरतल्ला बॉर्डर के पास तैनात कर दिया गया. उस समय जब पाकिस्तानी सेना (बांग्लादेश की ओर से) लगातार भारतीय आक्रमण का जवाब दे रही थी, तो भारतीय सेना को आगे बढ़ने में दिक्कत हो रही थी.
इसकी मुख्य वजह यह थी कि भारतीय सेना की स्थिति का ब्योरा ऊपर चौकी पर तैनात एक पाकिस्तानी सैनिक पाकिस्तानी एयरफोर्स को दे रहा था. इसके आधार पर भारतीय सेना पर हमला किया जा रहा था. इसी दौरान 5 पैरा के राजदेव सिंह की नजर उस पाकिस्तानी सैनिक पर पड़ी. उन्होंने अपना सटीक निशाना साधा और उक्त सैनिक को अपनी गोलियों का शिकार बनाया. इसके बाद पाकिस्तान का संपर्क उस तरफ से टूट गया. भारतीय सेना ने पाकिस्तान की मेन लाइन को काट दिया. इसके बाद 400 से अधिक डमी पैराशूट ड्राइव (रबर के आदमी बनाकर) कराये गये. जब डमी पैराशूट पर पाकिस्तानी फौज फायरिंग करने में जुटी थी, इस दौरान भारतीय सेना ने उन पर फायरिंग करते हुए असली फौज वहां उतार दी. राजदेव सिंह को रिजर्व फोर्स में रखा गया था.
उनकी कंपनी लगातार पाकिस्तान और चाइना बॉर्डर पर नजर गड़ाये हुए थी. भारतीय सेना को अलर्ट किया गया था कि कहीं चाइना हमला न कर दे. राजदेव सिंह ने बताया कि भारतीय सेना में काफी अनुशासन है तथा दुश्मन के किसी भी हमले को नेस्तनाबूत करने में सक्षम है.