डॉ सुशील कुमार श्रीवास्तवकैंसर स्पेशलिस्ट झारखंड में धीरे-धीरे थ्रोट (गले) कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसका एक बड़ा कारण यह है कि तंबाकू, सिगरेट, पान व गुटखा जैसे पदार्थों के सेवन की लत लोगों में बढ़ती जा रही है. इन दिनों गले के कैंसर को लेकर केसेज की संख्या में काफी तेजी से इजाफा हो रहा है. गले का कैंसर मुख्य रूप से स्मोकिंग, खैनी और पान मसाला के सेवन से होता है. अगर कोई ओरल हाइजीन मेंटने नहीं करता, जैसे नियमित रूप से ब्रश न करना, जीभ को सही तरीके से साफ न करने आदि से भी गले के कैंसर की संभावना बनी रहती है. गले का कैंसर होने पर सबसे पहले तो आपके गले के अंदरूनी भाग में एक छोटा सा घाव होता है, जो धीरे-धीरे बृहद रूप लेने लगता है और कुछ दिनों के बाद गांठ के रूप में बदल जाता है. इस दौरान आपको खाने-पीने में काफी दर्द होता है और गले में लगातार जलन की शिकायत रहती है. वैसे तो गले के कैंसर से बचने का प्राइमरी तरीका है कि आप तम्बाकू, खैनी, पान, गुटखा व स्मोकिंग जैसे नशीले पदार्थों से दूर रहें और ओरल हाइजीन मेंटेन करें. अगर कैंसर सेकेंड स्टेज में है तो इसको केवल ऑपरेशन से ही ठीक किया जा सकता है. बीमारी : गले का कैंसरकारण : चबाने वाले और कत्था या चूना मिक्स नशा पदाथों के सेवन से, स्मोकिंग से, ओरल हाइजीन मेंटन न करने से लक्षण : गले में अंदरूनी घाव हो जाना, खाते या पीते वक्त गले में दर्द होना, गले में जलन होना, गले में गांठ पड़ जानाबचाव : चूना व कत्थायुक्त नशीले पदार्थों के सेवन से दूर रहना, ओरल हाइजीन मेंटेन करना
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मुंह की सफाई रखे गले के कैंसर से दूर
डॉ सुशील कुमार श्रीवास्तवकैंसर स्पेशलिस्ट झारखंड में धीरे-धीरे थ्रोट (गले) कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसका एक बड़ा कारण यह है कि तंबाकू, सिगरेट, पान व गुटखा जैसे पदार्थों के सेवन की लत लोगों में बढ़ती जा रही है. इन दिनों गले के कैंसर को लेकर केसेज की संख्या में काफी […]
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