-सीआइआरडी में साधना शिविरवरीय संवाददाता, जमशेदपुर साधना शिविर में गुरुवार को स्वामी निर्विशेषानंद तीर्थ ने साधकों को अद्वय ज्ञान, आर्जवम व आचार्योपासना के बारे में बताया. कहा कि अद्वय ज्ञान को ही दर्शन शास्त्र में ब्राह्मण, आध्यात्मिकता में परमात्मा और धर्म में भगवान कहते हैं. आत्मा का स्वरूप तथा विश्व का परम सत्य अद्वय ज्ञान ही है. इसलिए ज्ञान साधना की सिद्धि में साधक ज्ञान स्वरूप बन जाता है. आर्जवम् गुण के बारे में बताया कि इसका अर्थ सरल एवं स्पष्ट व्यवहार होता है. यदि आप आर्जवम के आध्यात्मिक पक्ष का अनुसरण करते हैं, आपकी सभी गतिविधियां प्रकृति के नियमों के तालमेल में होंगी. आचार्योपासना की चर्चा करते हुए कहा कि इसका शाब्दिक अर्थ आचार्यगण के पास बैठना है. लेकिन वास्तव में इसका अर्थ गुरु के मन को जानना और उनके विचारों को आत्मसात करना है. इस आयोजन में केंद्र के डॉ आलोक सेनगुप्ता, पी सरोदे, आरएस तिवारी, एस सेनगुप्ता समेत अन्य सदस्य सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.
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साधना में साधक बन जाता है ज्ञान स्वरूप : स्वामी निर्विशेषानंद तीर्थ (फोटो : हैरी.9)
-सीआइआरडी में साधना शिविरवरीय संवाददाता, जमशेदपुर साधना शिविर में गुरुवार को स्वामी निर्विशेषानंद तीर्थ ने साधकों को अद्वय ज्ञान, आर्जवम व आचार्योपासना के बारे में बताया. कहा कि अद्वय ज्ञान को ही दर्शन शास्त्र में ब्राह्मण, आध्यात्मिकता में परमात्मा और धर्म में भगवान कहते हैं. आत्मा का स्वरूप तथा विश्व का परम सत्य अद्वय ज्ञान […]
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