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जमशेदपुर : मंदी से जूझ रही टाटा मोटर्स कई विकल्पों पर कर रही है मंथन
जमशेदपुर : ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी से टाटा मोटर्स बुरी तरह से प्रभावित है. लगातार लिये जा रहे ब्लॉक क्लोजर अस्थायी कर्मचारियों के समक्ष गंभीर आर्थिक संगट उत्पन्न हो गया है. ेआमतौर पर 13 से 15 हजार वाहन प्रति महीने बनाने वाली टाटा मोटर्स, आज महज दो हजार तक हजार वाहन ही बना रही […]
जमशेदपुर : ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी से टाटा मोटर्स बुरी तरह से प्रभावित है. लगातार लिये जा रहे ब्लॉक क्लोजर अस्थायी कर्मचारियों के समक्ष गंभीर आर्थिक संगट उत्पन्न हो गया है. ेआमतौर पर 13 से 15 हजार वाहन प्रति महीने बनाने वाली टाटा मोटर्स, आज महज दो हजार तक हजार वाहन ही बना रही है. टाटा मोटर्स पर पूरी तरह निर्भर आदित्यपुर से हजारों छोटे और मझोले उद्योग भी बुरे दौर से गुजर रहे हैं.
यह उद्योग टाटा मोटर्स के लिए पार्ट्स बनाते हैं.क्लोजर के दौरान कर्मचारियों की पर्सनल लिव का 50 फीसदी हिस्सा कंपनी की ओर से काटा जाता है. कंपनी की खस्ताहाली का असर अस्थायी मजदूरों के भविष्य पर प पड़ रहा है. अगर विशेषज्ञों की माने तो 5 से 6 सालों के अंतराल में छोटी-बड़ी मंदी आती है. औद्योगिक कंपनी से ज्यादा परेशानी मजदूरों को होती है.
इसमें अस्थायी मजदूरों का वेतन कट जाता है. कुछ अस्थायी मजदूरों को बैठा भी दिया जाता है. औद्योगिक घरानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए मंदी का दौर चल रहा है. हालांकि यूनियन और प्रबंधन का प्रयास है कि अस्थायी मजदूरों को रोटेशन के आधार पर काम दिया जाये,लेकिन यह काफी नहीं है.
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