जमशेदपुर: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) के निर्देश पर शहर के विभिन्न बैंक करीब 45 हजार से अधिक खाता बंद कर देंगे. इनमें ऐसे खाता हैं, जिनका 10 साल में एक बार भी इस्तेमाल नहीं हुआ है.
वहीं जिनके खाता में 100-500 रुपये हैं और डेढ़-दो साल से खाते में किसी तरह का लेन-देन नहीं हुआ है.
ऐसे खाते भी बंद कर दिये जायेंगे. जिस खाते में जमा राशि अधिक है, उसे संबंधित बैंक क्लोज कर आरबीआइ के एकाउंट में राशि स्थानांतरित कर देंगे. वहीं 500 रुपये से कम वाले एकाउंट की राशि बैंक अपने एकाउंट में ट्रांसफर कर उसकी सूचना आरबीआइ को भेज देंगे. ज्ञात हो कि एक बार एकाउंट क्लोज हो जाने के बाद फिर से चालू कराने या राशि वापस दिलाने में बैंक किसी तरह का सहयोग ग्राहक को नहीं कर पायेंगे. एसबीआइ में सबसे अधिक बैंक खाते हैं, जो नन ऑपरेटिव मोड में हैं. इसके अलावा बैंक ऑफ इंडिया, ओरिएंटल बैंक, यूनियन बैंक समेत अन्य बैंकों में ऐसे हजारों खातें हैं. एसबीआइ के अधिकारी ने बताया कि ऐसे खातों की हर माह स्क्रूटनी की जा रही है.
क्यों आया ऐसा निर्देश
वर्षो से लंबित एकाउंट अचानक सक्रिय हो जाते हैं. बैंकिंग सूत्रों का मानना है कि इन खातों का इस्तेमाल गलत ऑपरेटर करते हैं. स्पेसिमैन साइन बदल जाने की स्थिति में पुराना होने का हवाला देकर कुछ लोग नया साइन बनाने का प्रयास करते हैं. अधिकांश खाते पारिवारिक विवाद की वजह से फंस जाते हैं.
जल्द केवाइसी फार्म करें जमा
यदि आपने बैंक खाते के लिए केवाइसी फार्म नहीं जमा किया है, तो जल्द जमा करा दें. ऐसा नहीं करने पर आपका खाता बंद हो सकता है. बिना केवाइसी वाले ग्राहकों को अलग से शुल्क बैंक को देना पड़ सकता है. लेन देन होने वाले खातों का केवाइसी न होने पर बैंक उनसे 112 रु पये का शुल्क भी ले सकते हैं, ऐसा प्रस्ताव है. आरबीआइ ने मनी लांड्रिंग रोकने और ग्राहक की सही पहचान के लिए यह फैसला किया है. केवाइसी के लिए ग्राहक को अपना पहचान और निवास स्थान का प्रमाण पत्र देना होगा. इसमें मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट, पैन कार्ड, सेना का पहचान पत्र, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली का बिल, टेलीफोन बिल, गैस कनेक्शन आदि की फोटो कॉपी हो सकती है.