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अगले सत्र से दो साल का होगा बीएड कोर्स

जमशेदपुर: बीएड करना अब आसान नहीं होगा. इसकी डिग्री के लिए अब आपको दो साल तक पढ़ाई करनी होगी. नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन की ओर से तय किया गया कि सत्र 2015 से बीएड के कोर्स की अवधि बढ़ायी जायेगी. एनसीटीइ के भुवनेश्वर ऑफिस में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया है. इससे […]

जमशेदपुर: बीएड करना अब आसान नहीं होगा. इसकी डिग्री के लिए अब आपको दो साल तक पढ़ाई करनी होगी. नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन की ओर से तय किया गया कि सत्र 2015 से बीएड के कोर्स की अवधि बढ़ायी जायेगी. एनसीटीइ के भुवनेश्वर ऑफिस में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया है. इससे संबंधित 145 पóो की बातों को एनसीटीइ के वेबसाइट पर डाल दिया गया है. मिली जानकारी के अनुसार अगर किसी भी कॉलेज में 30 जून के बाद एडमिशन संबंधी प्रक्रिया अपनायी जाती है तो फिर उस कॉलेज में नये नियम के अनुसार ही वहां दाखिला होगा. नये नियम के अनुसार अब किसी भी बीएड कॉलेज के लिए एक एकड़ जमीन होना अनिवार्य है.

झारखंड के 84 कॉलेजों ने नहीं सौंपी रिपोर्ट

पिछले दिनों एनसीटीइ ने राज्य के सभी बीएड कॉलेजों का निरीक्षण किया गया था. इसके बाद कॉलेजों के आधारभूत संरचनाओं की जांच की गयी थी. जांच में कई कॉलेजों में खामियां पायी गयी थी. सारी खामियों से कॉलेज प्रबंधन को अवगत भी करा दिया गया था. कॉलेज की ओर से एनसीटीइ के पास एक रिपोर्ट बना कर पेश किया जाना था. इसके लिए 30 मई तक का समय दिया गया था. लेकिन राज्य के 92 कॉलेजों में 84 कॉलेजों ने रिपोर्ट पेश नहीं किया. कोल्हान विश्वविद्यालय की ओर से सिर्फ टाटा कॉलेज चाईबासा ने ही रिपोर्ट बना कर भेजी है. इस रिपोर्ट पर एनसीटीइ की आज होने वाली बैठक में चर्चा होगी.

प्राइवेट और अल्पसंख्यक कॉलेजों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिया नोटिस

कोल्हान विश्वविद्यालय के प्राइवेट और अल्पसंख्यक बीएड कॉलेजों की संबद्धता रद करने के मामले में नेताजी सुभाष बीएड कॉलेज ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सोमवार को इस मामले में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद कोर्ट ने वीसी, एचआरडी और सरकार से जवाब मांगा है. इससे संबंधित एक नोटिस स्पेशल मैसेंजर द्वारा भेजा जा रहा है. कोर्ट में जवाब सौंपने की अंतिम तिथि 23 जून है. इस मामले में याचिकाकर्ता एमएम सिंह ने कहा कि कोर्ट पर उन्हें भरोसा है. उन्होंने कहा कि अगर पक्ष में फैसला आता है तो नये सिरे से विवि के पदाधिकारियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी जायेगी.

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