जमशेदपुर : एक ओर सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव के लिए गर्भवती को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र हल्दी पोखर में एक गर्भवती को प्रसव वेदना की स्थिति में उसके हाल पर छोड़ दिया गया. उसे ममता वाहन उपलब्ध कराये बिना सीधे एमजीएम अस्पताल जाने की सलाह दी गयी.
किसी तरह टेंपो में लाद कर परिजन एमजीएम अस्पताल लाये तब तक अस्पताल परिसर में ही महिला ने बच्चे को जन्म दिया. हालांकि जच्च और बच्च दोनों सुरक्षित है. हल्दीपोखर निवासी महिला के पति गणोश ने बताया कि वह सुबह पत्नी को डिलिवरी कराने के लिए हल्दीपोखर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा. वहां पर डॉक्टरों ने एमजीएम अस्पताल लेकर जाने को कहा.
वहां से उस गर्भवती महिला को एंबुलेंस व ममता वाहन कुछ भी उपलब्ध नहीं कराया गया. अस्पताल गेट के पास टेंपो में ही महिला ने बच्चे को जन्म दिया. इसकी जानकारी मिलने पर अस्पताल के नर्स व अन्य स्टाफ वहां पहुंच कर महिला व बच्चे को लेवर रूम में लेकर गये. जहां बच्च व मां दोनों सुरक्षित है.
ममता वाहन उपलब्ध कराने की क्या प्रक्रिया है. गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने के लिए पहले वहां की सहिया ममता वाहन सेंटर पर फोन करती है. फोन आने पर सेंटर से उस जगह के ममता वाहन चालक को सहिया का नाम व मोबाइल नंबर उपलब्ध कराया जाता है. उसके बाद ममता वाहन वहां पहुंच कर महिला को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र लेकर जाता है. प्रसव के बाद उसको उसके घर तक पहुंचाने का काम ममता वाहन चालक करता है. सुरक्षित प्रसव के लिए क्या है सरकार की योजना सरकार द्वारा सुरक्षित प्रसव करने के लिए गर्भवती महिला को घर से अस्पताल पहुंचाने व अस्पताल से घर पहुंचाया जाता है. इसके लिए सहिया व ममता वाहन से काम लिया जाता है. प्रसव के बाद महिला को 1400 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है.