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आठ दिनों में एक बाघिन और एक शावक की मौत

जमशेदपुर : टाटा जू में आठ दिनों के अंदर दो बाघिन के मरने को लेकर जू के डायरेक्टर विपुल चक्रवर्ती ने बताया कि बाघों को बिसिओसिस बीमारी हुई है, लेकिन यह बीमारी कैट प्रजाति के दूसरे जानवरों में न हो, इसको लेकर विशेष रूप से सतर्कता बरती जा रही है. उन्होंने बताया कि बबेसिया नामक […]

जमशेदपुर : टाटा जू में आठ दिनों के अंदर दो बाघिन के मरने को लेकर जू के डायरेक्टर विपुल चक्रवर्ती ने बताया कि बाघों को बिसिओसिस बीमारी हुई है, लेकिन यह बीमारी कैट प्रजाति के दूसरे जानवरों में न हो, इसको लेकर विशेष रूप से सतर्कता बरती जा रही है. उन्होंने बताया कि बबेसिया नामक प्रोटोजोआ तेजी से फैलता है.

कैट प्रजाति में खास कर शेर अौर तेंदुआ को इससे बचाने के लिए उन्हें वैक्सीन दिया जा रहा है. हालांकि उन्होंने अब तक उक्त दोनों ही जानवरों में इसके लक्षण नहीं होने की बात कही.
दो मार्च 2014 को लाया गया था सफेद बाघ. टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में पहली बार शहर के लोगों के लिए दो मार्च 2014 को तिरुपति के वेंकटेश्वर पार्क से सफेद बाघ लाया गया था. सफेद बाघ कैलाश व पूर्व से चिड़ियाघर में मादा बाघिन डोना के संपर्क में आने के बाद अगस्त 2017 में तीन मादा शावक का जन्म हुआ था, जिसमें से एक की मौत हो चुकी है.
मंगलवार को डोना व उनके बच्चे नहीं निकले बाहर. मंगलवार को गंभीर बीमारी की वजह से मादा बाघ डोना व उनके दोनों बच्चे अपने बाड़े से बाहर नहीं आये. हालांकि सफेद बाघ कैलाश जरूर बाड़े से बाहर निकला, लेकिन वह भी काफी सुस्त था. गर्मी से बचाव के लिए वह अधिकांश समय तक पानी में ही रहा.
रांची व इटावा लायन सफारी ने भी बिसिओसिस की वजह से गंवाया है बाघ और शेर को. बिसिओसिस बीमारी की वजह से पूर्व में भी देश के कई चिड़ियाघरों ने बाघ व शेर का खोया है. जू के डायरेक्टर विपुल चक्रवर्ती ने बताया कि रांची चिड़ियाघर में भी इस बीमारी की वजह से करीब 13 साल पहले कई बाघों की मौत हुई थी, जिसमें टाटा जू से रांची भेजी गयी मादा बाघ बसंती भी शामिल थी. दूसरी अोर, इटावा के लायन सफारी में भी 2 साल पूर्व उक्त बीमारी की वजह से शेरों की मौत हुई थी.
टाटा जू में ऐसे बना था बाघों का परिवार
टाटा स्टील जूलोजिकल पार्क में बाघ का पहला जोड़ा बेन व श्यामली को भोपाल जू से लाया गया था. इनसे 22 दिसंबर 1999 को शांति व बसंती का जन्म हुआ. वर्ष 2003 में बसंती को रांची जू भेज दिया गया, जबकि शांति के लिए असम जू से राघव नामक बाघ को लाया गया. शांति 2012 में चार शावकों की मां बनी, लेकिन उनमें से एक भी जीवित नहीं रह सका था. बाघिन शांति की मौत 2 मई 2017 को बीमारी और बुजुर्ग होने के कारण हो गयी थी. शांति के तीन बच्चे डोना, अहाना और विवान थे. डोना का जन्म चिड़ियाघर में ही 16 अप्रैल 2012 को हुआ था. शांति के तीनों बच्चों में अहाना की मौत 25 मार्च 2018 को हो गयी, जबकि विवान को 3 महीने पूर्व ही सिलीगुड़ी शिफ्ट कर दिया गया. फिलहाल शांति के तीनों बच्चों में अब सिर्फ डोना ही टाटा जू में बची है.
बाघ को देखने पहुंचे पर्यटक, निराश लौटे
टाटा जू में जानवरों का दीदार करने के लिए मंगलवार को काफी संख्या में पर्यटक पहुंचे थे. वे बाघ के बाड़े की तरफ भी गयी, लेकिन सुरक्षाकर्मियों द्वारा उनके जानकारी दी गयी कि बाघ के बीमार होने की वजह से वे उन्हें नहीं देख सकते हैं.
पूर्वी सिंहभूम में हैं वेक्टर चूक हुई, चिड़ियाघर में
प्रवेश कर गये
टाटा जू के डायरेक्टर विपुल चक्रवर्ती ने बताया कि पूर्वी सिंहभूम में बिसिओसिस बीमारी के प्रोटोजोआ पूर्व में भी थे. कई जानवर इसके कारण पहले भी बीमार हो चुके हैं, लेकिन अब तक इस प्रोटोजोआ की इंट्री टाटा जू में नहीं हुई थी. यह पता लगाया जा रहा है कि आखिर किस प्रकार से यह जू में प्रवेश कर गया. उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं चूक जरूर हुई है. साफ-सफाई के बेहतर इंतजाम रखने के बाद भी घटना घट गयी है. दुबारा यह न हो, इसको लेकर प्रयास किये जा रहे हैं.

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