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एमजीएम में पीजी की पढ़ाई को दी हरी झंडी
कोल्हान विश्वविद्यालय से मिला एनअोसी पहली बार कॉलेज में 11 विषयों में 57 सीटों पर होगी पीजी की पढ़ाई संदीप सावर्ण जमशेदपुर : एमजीएम मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर में पीजी की पढ़ाई शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है.स्वास्थ्य मंत्रालय के बाद कोल्हान विवि ने भी एमजीएम मेडिकल कॉलेज में पीजी की पढ़ाई शुरू करने […]
कोल्हान विश्वविद्यालय से मिला एनअोसी
पहली बार कॉलेज में 11 विषयों में 57 सीटों पर होगी पीजी की पढ़ाई
संदीप सावर्ण
जमशेदपुर : एमजीएम मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर में पीजी की पढ़ाई शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है.स्वास्थ्य मंत्रालय के बाद कोल्हान विवि ने भी एमजीएम मेडिकल कॉलेज में पीजी की पढ़ाई शुरू करने को लेकर एनअोसी दे दी है.
अब यहां 11 विषयों में 57 सीटों पर पीजी की पढ़ाई हो सकेगी. विवि की अोर से एनअोसी मिलने के बाद अब एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल अॉफ इंडिया) के पास मार्च से पहले आवेदन किया जायेगा. एमसीआइ की अोर से फाइनल एप्रूवल मिलने के बाद रिम्स के बाद एमजीएम मेडिकल कॉलेज झारखंड का दूसरा कॉलेज होगा, जहां मेडिकल में पीजी की पढ़ाई हो सकेगी
पिछले साल कोल्हान विवि की लापरवाही की वजह से लटक गया था मामला : एमजीएम मेडिकल कॉलेज में पीजी की पढ़ाई शुरू करने को लेकर पिछले साल भी कॉलेज प्रबंधन की अोर से आवेदन दिया गया था. आवेदन के आलोक में झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनअोसी दिया था, लेकिन एनअोसी मिलने के बाद जब विवि के पास आवेदन किया गया, तो कोल्हान विवि ने तय समय पर एनओसी की फाइल पर कोई पहल शुरू नहीं की.
उक्त कोर्स को शुरू करने की मियाद (अक्तूबर के प्रथम सप्ताह) एनअोसी के इंतजार में ही खत्म हो गयी.इस वजह से पिछले साल पीजी की पढ़ाई नहीं शुरू हो पायी. विवि के उदासीन रवैये की वजह से किस प्रकार राज्य को नुकसान हुआ, इस खबर को प्रभात खबर ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया, जिसके बाद नये सिरे से एनअोसी की तमाम प्रक्रिया पूरी हुई. अंत में शनिवार को विवि की अोर से एनअोसी की फाइल कॉलेज प्रबंधन को भेजी गयी.
शिक्षकों की कमी बन सकता है रोड़ा
एमजीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि कॉलेज के प्रोफेसर लगातार रिटायर हो रहे हैं. इससे कॉलेज में शिक्षकों की कमी लगातार हो रही है, जबकि जूनियर टीचर का न ही प्रोमोशन हो रहा है अौर न ही नये शिक्षकों की बहाली हो रही है.
इस वजह से कॉलेज में शिक्षकों की कमी हो गयी है. इस कमी की वजह से कॉलेज में एमबीबीएस की 100 सीटों पर पठन-पाठन या फिर पीजी की 57 सीटों पर पठन-पाठन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. इसको लेकर प्रिंसिपल डॉ एसी अखौरी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय को पूरी स्थिति की जानकारी दी गयी है. उम्मीद है कि प्रोमोशन का लंबित मामला साफ हो जायेगा, जिसके बाद एमबीबीएस या फिर पीजी के लिए किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं होगी.
पांच सीट पर पीजी, जबकि 6 सीट पर डिप्लोमा की होती है पढ़ाई
एमजीएम मेडिकल कॉलेज में फिलहाल पांच सीटों पर पीजी, जबकि छह सीटों पर डिप्लोमा की पढ़ाई होती है. एटानॉमी, फिजियोलॉजी व फर्माकोलॉजी में पीजी की पढ़ाई होती है, जबकि पिडियाट्रिक्स, रेडियोकोलॉजी व गायनेकोलॉजी में 6 सीटों पर डिप्लोमा की पढ़ाई होती है. इस साल इसकी संख्या में इजाफा हो सकेगा.
अब क्या होगा?
एमजीएम मेडिकल कॉलेज को पीजी की पढ़ाई शुरू करने के लिए उक्त एनअोसी के आधार पर एक फाइल रिपोर्ट तैयार कर मेडिकल काउंसिल अॉफ इंडिया के पास भेजनी होगी. उक्त फाइल के आधार पर एमसीआइ की टीम कॉलेज का दौरा करेगी, जिसमें कॉलेज की आधारभूत संरचनाअों के साथ ही शिक्षकों की संख्या की जानकारी भी कलमबंद की जायेगी. इसके बाद एक रिपोर्ट तैयार होगी. रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज में पीजी की पढ़ाई होगी.
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