चौपारण : हजारीबाग जिला के चौपारण प्रखंड के ताजपुर मंदिर सेचुरायागया शिवलिंग बरामद हो गया है. 25 फरवरी को चोरी हुआ शिवलिंग बारेदा जंगल की झाड़ी में मिला. जैसेही लोगों को इसकी खबर लगी, भारी संख्या में लोग वहां शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचने लगे. मंदिर के पुजारियों नेशिवलिंगकी पहचान की. इसके बाद पुलिस की टीम वहां पहुंची और शिवलिंग को थाने ले आयी. पुलिस ने आश्वासन दिया कि मंदिर से शिवलिंग की चोरी करने वाले को शीघ्र गिरफ्तार कर लिया जायेगा.
बताया जाता है कि चट्टी के कुछ लोग मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे. इसी क्रम में उन्होंने शिवलिंग को झाड़ियों में पड़ा देखा. इसकी सूचना चौपारण के लोगों को दी गयी. मंदिर के पुजारी अशोक केसरी, विनोद स्वर्णकार, दीपक केसरी वहां पहुंचे और शिवलिंग की पहचान की.
थाना प्रभारी ने कहा कि पुलिस की बढ़ती दबिश से घबराकर चोर शिवलिंग को झाड़ी में छोड़कर भागा होगा. उन्होंने कहा कि शिवलिंग की चोरी करने वाले भी शीघ्र गिरफ्त में होंगे. चोरों की गिरफ्तारी के लिए एसपी अनीश गुप्ता के मार्गदर्शन में डीएसपी मनीष कुमार की अगुवाई में एक टीम लगातार छापामारी कर रही है.

ज्ञात हो कि शिवलिंग की चोरी के बाद पुलिस और पब्लिक के बीच झड़प हो गयी थी. लोगों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज करना पड़ा था. इसके बाद गुस्साये लोगों ने पुलिस पर पत्थरों से हमला कर दिया था. तनाव को देखते हुए ताजपुर में कुछ देर के लिए निषेधाज्ञा लगानी पड़ी थी. हालांकि, बाद में पुलिस, प्रशासन और स्थानीय लोगोंने सूझ-बूझ का परिचय दिया और स्थिति को संभाला.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि ताजपुर शिव मंदिर के बारे में एक कथा प्रचलित है. कहते हैं कि जिस जगह शिव मंदिर है, वहां कभी विशाल बरगद का पेड़ हुआ करता था. उसी पेड़को चीरतकरशिवलिंग प्रकट हुआ. गाय चराने गये एक चरवाहा ने देखा कि एकगाय चार-पांच दिन से दूध नहीं दे रही है. लोगों ने इसकी पड़ताल की, तो मालूम हुआ कि गायहर दिन चरते-चरते जाती और शिवलिंग पर दूध अर्पित कर देती. उसने आकर गांव के लोगों को इसके बारे में बताया.
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इसके बाद लोगों ने शिवलिंग की पूजा-अर्चना शुरू कर दी. जैसे-जैसे दिन बीता, शिवलिंग की महत्ता बढ़ती गयी. बाद में वहां मंदिर की स्थापना की गयी. कहते हैं कि चौपारण क्षेत्र के सबसे प्रचीनतम मंदिरों में एक इस मंदिर में माथा टेकने वालों की सारी मुरादें पूरी होती हैं. मंदिर के सामने बड़ा छठ घाट है. यहां छठ के मौके पर दूर-दूर से छठव्रती भगवान भाष्कर को अर्घ देने आते हैं.