दुकान-दुकान भटक रहे किसान, नहीं मिल रही यूरिया, गुमला में 176363 हेक्टेयर में हो चुकी है धान की खेती
Urea Scarcity in Gumla: झारखंड के गुमला जिले में 176363 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती हो चुकी है. फसल को खाद की जरूरत है. खासकर यूरिया की. इसी दौरान गुमला जिले में यूरिया खाद की भारी किल्लत देखी जा रही है. किसानों का कहना है कि यूरिया की कालाबाजारी हो रही है. आज कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने रांची में स्वीकार किया कि झारखंड में यूरिया की डिमांड बढ़ने की वजह से इसकी कमी है. कालाबाजारी हो रही है. उन्होंने कहा कि यूरिया की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है.
Urea Scarcity in Gumla: गुमला जिले में किसान यूरिया के लिए दर-दर (दुकान-दुकान) भटकने को विवश हैं. खेतों में लगी फसल धान की अच्छी पैदावार के लिए यूरिया की सख्त जरूरत है, लेकिन जिले की करीब 80 फीसदी किसानों को यूरिया नहीं मिल रही है. किसान कभी इस दुकान, तो कभी उस दुकान जा रहे हैं. लेकिन किसानों को यूरिया नहीं मिल रही है. बताते चले कि धान जिले की प्रमुख फसल है.
1.70 लाख से 1.90 लाख हेक्टर में होती है धान की खेती
हर साल सिर्फ खरीफ मौसम में जिले भर में 1.70 लाख हेक्टेयर से लेकर 1.90 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की खेती की जाती है. इसमें इस साल अब तक जिले भर में 176363 हेक्टेयर में धान की खेती की जा चुकी है, जिसमें रोपा विधि से 140551 हेक्टेयर भूमि व छींटा विधि से 35812 हेक्टेयर भूमि पर खेती की गयी है. अब धान फसल की अच्छी पैदावार के लिए यूरिया की जरूरत है, लेकिन जिले में यूरिया की कमी है.
हर साल खरीफ के मौसम में होती है यूरिया की कालाबाजारी
दुकानों में यूरिया पहुंचने के साथ खत्म हो जा रही है, जो किसान पहले दुकान पहुंचते हैं, उन्हें ही यूरिया मिल रही है और जो किसान देर से पहुंच रहे हैं, उनके पहुंचते तक यूरिया खत्म हो जा रही है. खाद-बीज दुकानों के खुलने से पहले कई किसान दुकान पहुंचे रहते हैं. ऐसे जिले में यूरिया की कमी कालाबाजारी की ओर इशारा कर रही है. जिले में हर साल खरीफ मौसम में यूरिया की कालाबाजारी की जाती रही है. कालाबाजारी के मामले में प्रशासन द्वारा कार्रवाई भी की गयी है.
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कमी के बीच ऊंची कीमत पर बिक रही यूरिया
बाजार में यूरिया की कमी है, जिससे यूरिया के पैकेट हो या खुदरा ऊंचे कीमत पर बिक्री की जा रही है. जिले भर में कुल आठ थोक उर्वरक अनुज्ञप्तिधारी हैं. इनमें से कई अनुज्ञप्तिधारियों व खुदरा बीज-खाद दुकानदारों से संपर्क किया गया. इसमें बताया गया कि यूरिया की काफी डिमांड है. आते ही खत्म हो जा रही है. यूरिया की दर के संबंध में बात भी उनलोगों से की गयी. इधर, यूरिया की कीमत अधिक लिए जाने से भले किसानों को अपनी जेब थोड़ी अधिक ढीली करनी पड़ रही है. लेकिन कमी के बीच यूरिया मिल जाने से किसान राहत की सांस लेते हुए अधिक कीमत देकर यूरिया खरीद रहे हैं.
अच्छी पैदावार के लिए यूरिया जरूरी : एतवा
पालकोट प्रखंड की बागेसेरा पंचायत के चीकटोली निवासी किसान एतवा लोहरा ने कहा कि पालकोट प्रखंड में किसानों को रासायनिक खाद यूरिया नहीं मिलने से किसानों को परेशानी हो रही है. कृषि कार्य करने में समस्या आ गयी है. 15 दिनों के आसपास से रासायनिक खाद दुकान के अलावा लैंपस में भी यूरिया नहीं मिल रही है. अभी किसान मड़ुवा की खेती कर रहे हैं, जिसमें यूरिया खाद देना जरूरी है और यूरिया नहीं मिलने से किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. उन्होंने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द यूरिया खाद उपलब्ध कराया जाये, जिससे फसल को बर्बाद होने से बचाया जा सके.
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अधिक दाम पर यूरिया खरीद रहे हैं : बीजू
चैनपुर प्रखंड में यूरिया नहीं मिलने से किसान काफी परेशान हैं. प्रखंड में खाद बीज दुकानों में स्टॉक बिल्कुल ही समाप्त है. कृषक बीजू रौतिया ने बताया कि यूरिया खाद नहीं मिल रही है. धान में इसका छिड़काव नहीं होने से फसल अच्छा नहीं होगा और उत्पादन कम होगा. किसानों ने सरकार से यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की है, ताकि फसल का उत्पादन अच्छा हो सके. दुकानों में यूरिया नहीं मिलने से किसान चोरी छिपे ऊंचे दाम पर यूरिया खरीद रहे हैं.
पाई-पाई पैसा जमा किया नहीं मिली यूरिया : सिंह
सिसई प्रखंड के भदौली गांव निवासी किसान रामानंद सिंह ने कहा कि मॉनसून से पहले से ही किसान अपनी हर जरूरतों का गला घोंट कर पाई-पाई पैसा जोड़ कर किसी तरह से खाद बीज के लिए पैसा रखते हैं, ताकि खेती में किसी तरह की कमी न हो और उनकी उपज बढ़िया हो सके. किंतु ठीक समय में यूरिया की कमी किसानों की उम्मीद पर पानी फेर रहा है. समय से यूरिया खेत में नहीं दी गयी, तो उपज आधी से भी कम हो जायेगी. इसलिए मैं सरकार व प्रशासन से मांग करता हूं कि किसानों के हित व फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए एक सप्ताह के अंदर यूरिया खाद उपलब्ध करायी जाये.
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यूरिया नहीं मिलने से किसान परेशान : मनोज
गुमला सदर प्रखंड अंतर्गत बेहराटोली के किसान मनोज खड़िया ने बताया कि यूरिया नहीं मिलने से काफी परेशानी हो रही है. अभी धान की फसलों को यूरिया की सख्त जरूरत है. यदि यूरिया नहीं मिली, तो फसल बर्बाद हो जायेगी. इस बार लगातार बारिश के बाद पहले से परेशानी हुई है. बारिश थमने के बाद धान की रोपनी कर दी हैं. फसल अच्छी होने की उम्मीद है. परंतु यूरिया खाद नहीं मिलने से संकट आ गया है. यह समस्या अब हर साल की हो गयी है. सरकार व प्रशासन कभी भी किसानों के हित में पहले से प्लान नहीं बनाती है, जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ता है और खेती-बारी भी प्रभावित होती है.
किसानों का जीवन खेती पर निर्भर : सुखू
गुमला प्रखंड के गिंडरा गांव के किसान सुखू महतो ने कहा कि पहले रोजाना की बारिश ने खेती को प्रभावित किया और अब यूरिया नहीं मिल रही. जीवन कृषि पर ही निर्भर है. किसी प्रकार खेती की हैं. अब फसलों को यूरिया की जरूरत है. लेकिन यूरिया नहीं मिल रही है. यूरिया नहीं मिलेगी, तो भारी समस्या होगी. सरकार को किसानों के लिए समय पर यूरिया उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी चाहिए. सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार व प्रशासन को पहले से पता है कि जिले में कितने खेत है. उसके हिसाब से पहले से यूरिया खाद का स्टॉक जिले में रखना चाहिए. परंतु, प्रशासन स्वार्थ की तरह काम करता है.
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यूरिया की आपूर्ति ठप, किसान चिंतित : चंद्रेश
बिशुनपुर प्रखंड के बहागड़ा गांव के किसान चंद्रेश उरांव ने कहा है कि यूरिया की आपूर्ति ठप होने से हम किसान चिंतित हैं. लैंपस व खाद्य बीज दुकानों में स्टॉक खत्म हो गया है. सरकार और प्रशासन से जल्द यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की है, ताकि वे समय पर अपनी फसलों के लिए आवश्यक उर्वरक प्राप्त कर सकें. उन्होंने कहा कि किसी भी दुकान में यूरिया नहीं मिल रही है, जिससे उन्हें डर सता रहा है कि समय पर यूरिया नहीं मिलने से फसल उत्पादन में कमी होगी और इसका सीधा असर हम किसानों पर होगा. सरकार व प्रशासन इस विषम घड़ी में किसानों की मदद करें.
इनपुट : गुमला से जगरनाथ पासवान/बिशुनपुर से बसंत/ चैनपुर से कौशलेंद्र/ पालकोट से महीपाल/ सिसई से प्रफुल
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