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गुनिया गांव के किसान बदल रहे हैं तस्वीर, कभी सूखा झेलने वाले अब 12 महीना करते हैं खेती

Jharkhand News, Gumla News : गुमला जिला से 25 किमी दूर घाघरा प्रखंड में गुनिया गांव है. कभी इस गांव में अपराध एवं उग्रवाद चरम पर था. यहां के किसान खेती-बारी भी नहीं करते थे. हर साल गर्मी में सुखाड़ हो जाता था. किसान पलायन कर जाते थे. लेकिन, अब गांव की फिजा बदल रही है. खेती-बारी से किसान जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. गांव से अब गिने-चुने लोग ही पलायन करते हैं. अधिकांश किसान साल के 12 महीना खेती कर रहे हैं. यह सब संभव हुआ है कृषि विज्ञान केंद्र, बिशुनपुर की पहल से. कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर मसरिया नदी सहित आसपास की छोटी नदियों में बोरा बांध बनाने के बाद साल भर हर खेत में हरियाली नजर आती है. वर्तमान में 25 एकड़ खेत में तरबूज एवं 25 एकड़ में आम की खेती हो रही है, जबकि 20 एकड़ से अधिक खेत पर रबी फसल की खेती की जा रही है.

Jharkhand News, Gumla News, गुमला (दुर्जय पासवान) : गुमला जिला से 25 किमी दूर घाघरा प्रखंड में गुनिया गांव है. कभी इस गांव में अपराध एवं उग्रवाद चरम पर था. यहां के किसान खेती-बारी भी नहीं करते थे. हर साल गर्मी में सुखाड़ हो जाता था. किसान पलायन कर जाते थे. लेकिन, अब गांव की फिजा बदल रही है. खेती-बारी से किसान जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. गांव से अब गिने-चुने लोग ही पलायन करते हैं. अधिकांश किसान साल के 12 महीना खेती कर रहे हैं. यह सब संभव हुआ है कृषि विज्ञान केंद्र, बिशुनपुर की पहल से. कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर मसरिया नदी सहित आसपास की छोटी नदियों में बोरा बांध बनाने के बाद साल भर हर खेत में हरियाली नजर आती है. वर्तमान में 25 एकड़ खेत में तरबूज एवं 25 एकड़ में आम की खेती हो रही है, जबकि 20 एकड़ से अधिक खेत पर रबी फसल की खेती की जा रही है.

300 परिवार गांव में निवास करते हैं

गुनिया गांव तक जाने के लिए अब पक्की सड़क बन गयी है. मसरिया मोड़ से जैसे ही आगे बढ़ेंगे. गुनिया गांव का रास्ता मिलेगा. गुनिया गांव पहुंचते ही सड़क के दोनों छोर में खेतों की हरियाली खुशनुमा माहौल देता है. साथ ही खेत में लगे फसल देखकर इस क्षेत्र के किसानों की मेहनत नजर आती है. गुनिया गांव में 300 परिवार रहते हैं. इसमें 80 प्रतिशत लोग खेती पर आश्रित हैं. गांव से कुछ दूरी तक मसरिया डैम का नहर पहुंचा है, लेकिन कुछ हिस्सों में नहर नहीं है. इसलिए गांव के लोग बरसात के बाद सूखने वाली नदियों में बोरा बांध बनाते हैं. जिसके बाद पानी को खेत तक ले जाते हैं और सालोंभर खेती करते हैं.

गांव के सफल किसान

गांव के ठेमा भगत, बालेश्वर गिरी, बंदे उरांव, सोमसाई उरांव, गोपाल गोप, वृंदा गोप, चरवा उरांव, गंदूर उरांव, सुभाष उरांव, बिरी उरांव, श्रवण मांझी, चंदा उरांव, सहदेव उरांव, बलभद्र गोप प्रगतिशील किसान हैं. इन किसानों को अपने गांव एवं खेत से काफी लगाव है. इसलिए सुखाड़ से लड़ते हुए इन किसानों ने खुद के बूते खेती- बारी की. आज इनकी आमदनी अच्छी है. किसानों का कहना है कि कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की सलाह से हमलोग खेती में बेहतर कर रहे हैं.

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20 एकड़ में तरबूज की खेती की योजना

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने बताया कि गुनिया गांव में तरबूज की खेती को काफी अहमियत दी जाती है. इसके तहत इस वर्ष किसानों द्वारा लगभग 20 एकड़ क्षेत्रफल में तरबूज की खेती की जायेगी. साथ ही बोदी, भिंडी, लौकी, खीरा, टमाटर आदि की खेती गरमा फसल के रूप में किसान इस क्षेत्र में करते हैं. इस क्षेत्र में लगभग 20 से 25 एकड़ में आम की खेती किसान कर रहे हैं.

दोहरा लाभ उठा रहे हैं यहां के किसान : अटल तिवारी

गुमला के कृषि वैज्ञानिक अटल तिवारी ने कहा कि निकरा परियोजना के तहत गुनिया गांव में कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस क्षेत्र से गुजरने वाली छोटी नदियों में बोरा बांध बनाकर पानी को एक जगह रोका जाता है. उसके बाद नदी के पानी को खेत तक ले जाकर खेती की जा रही है. गुनिया गांव के किसान मेहनती हैं. इसलिए यह गांव कृषि में आगे बढ़ रहा है. जिस खेत में आम का पौधा लगा है. उस खेत में किसान रबी फसल की भी अच्छी खेती कर दोहरा लाभ ले रहे हैं.

Posted By : Samir Ranjan.

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