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कैंप तक पहुंचे और बरसा दी गोलियां

बोराडीह से लौट कर दुर्जय पासवान पालकोट प्रखंड के डहुपानी पंचायत में बोराडीह गांव है. घोर नक्सल इलाका है. यह गांव विकास से महरूम है. यहां नक्सलियों का साम्राज्य है. गांव से दो किमी दूरी पर जंगल है. जैसा पुलिस ने बताया : रविवार को नक्सली जंगल के पहाड़ पर कैंप बना कर ठहरे हुए […]

बोराडीह से लौट कर दुर्जय पासवान

पालकोट प्रखंड के डहुपानी पंचायत में बोराडीह गांव है. घोर नक्सल इलाका है. यह गांव विकास से महरूम है. यहां नक्सलियों का साम्राज्य है. गांव से दो किमी दूरी पर जंगल है. जैसा पुलिस ने बताया : रविवार को नक्सली जंगल के पहाड़ पर कैंप बना कर ठहरे हुए थे. बिहार-झारखंड के रिजनल कमेटी के सदस्य आशीष दा व विनोद पंडित थे. साथ में 14-15 नक्सली थे. दो-तीन महिला नक्सली भी थी. सभी प्लास्टिक के बिछावन में आराम फरमा रहे थे. तभी दिन के 2.45 बजे पूरा जंगल व बोराडीह गांव गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा. रणनीति के तहत कोबरा-209 बटालियन ने नक्सलियों के कैंप की घेराबंदी की.

पुलिस के जवान नक्सलियों से 25 मीटर की दूरी पर थे. पुलिस को देख पहले नक्सलियों ने गोली चलायी. इसके बाद जवानों ने जवाबी कार्रवाई की. तीन तरफ से नक्सली घिरे हुए थे. इससे नक्सलियों में अफरा तफरी मच गयी. सभी नक्सली इधर-उधर भागने लगे. मुठभेड़ में आशीष दा को गोली लगी. वह पहाड़ के नीचे पेड़ के खोह में जा गिरा. एक अन्य नक्सली के हाथ में गोली लगी, तो उसका रायफल छूट गया. नक्सली कैंप से कुछ दूरी पर गांव के कुछ लोग थे. नक्सलियों ने इसका फायदा उठाया. पुलिस से बचने के लिए सभी नक्सली ग्रामीणों की ओर भागे. यही वजह है कि शेष नक्सली ग्रामीणों की आड़ में घने जंगल में जा घुसे, जिससे अन्य नक्सलियों को किसी प्रकार की क्षति नहीं हुई है. ऐसे पुलिस का दावा है कि एक नक्सली को गोली लगी है, जो घायल है. पुलिस की ओर से 250 व नक्सलियों की ओर से 40 से 50 राउंड गोली चली है.

नक्सलियों की मांद में बेखौफ पैदल चले : डीजीपी नक्सलियों की मांद में बेखौफ पैदल चले. साथ में कई पुलिस ऑफिसर थे. बोराडीह गांव से घटनास्थल दो किमी (जंगल में) दूर था, जहां कोबरा के जवानों ने रविवार दोपहर 3.30 बजे मुठभेड़ में आशीष यादव को मार गिराया था. डीजीपी घटनास्थल पर एक घंटे तक रुके और मुठभेड़ की पूरी जानकारी ली.

लाल सलाम नहीं, भारत माता गूंजा : नक्सलियों के गढ़ बोराडीह जंगल में सोमवार को भारत माता की जय व झारखंड पुलिस जिंदाबाद के नारे लगे. डीजीपी ने खुद नारे लगाये. उनके पीछे अन्य पुलिस पदाधिकारी व जवानों ने उत्साह में नारे लगाये.

शव के साथ रातभर पुलिस जंगल में रही : दुर्गम इलाका होने के कारण रविवार रात शव को उठाया नहीं जा सका. कोबरा के कमांडेंट कमलेश सिंह, एसडीपीओ बच्चनदेव कुजूर, थानेदार नित्यानंद महतो रातभर शव के साथ जंगल में ही रुके रहे. बारिश भी हो रही थी. पेड़ के नीचे जवानों ने रात गुजारा.

महिला नक्सली भी थी, कैंप ध्वस्त किया : तीन दिन से झारखंड-बिहार रिजनल कमेटी के सदस्य आशीष दा व विनोद पंडित अपने 15 साथियों के साथ जुटे थे. इसमें दो तीन महिला नक्सली भी थीं. पुलिस ने घेराबंदी कर आक्रमण किया था.

संजय यादव के बाद आशीष को मिली थी क्षेत्र की कमान

पुलिस से लूटी रायफल बरामद

नक्सलियों के भागने के बाद घटना स्थल से तीन रायफल पुलिस ने बरामद बरामद किया है. इसमें एक अमेरिकन रायफल है. दो रायफल पुलिस से लूटी हुई थी. आशीष एसएलआर लेकर चलता था, जिसे पुलिस ने बरामद किया. 288 गोली, आठ पीठू, दो वर्दी, 12230 रुपये नकद, खाने-पीने का सामान, जूता, चप्पल, दर्द निरोधक गोली, युवतियों के उपयोग की सामग्री, कंबल व कई सामान मिला है.

तीन दिन से पीछा कर रही थी पुलिस

फरवरी, 2016 में पालकोट के कांदेबेड़ा जंगल में मुठभेड़ में 10 लाख का इनामी नक्सली संजय यादव उर्फ यतीन मारा गया था. उसके बाद जहानाबाद निवासी आशीष यादव को गुमला-सिमडेगा की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी. वह छह महीने से पालकोट, रायडीह व सिमडेगा में दस्ते के साथ घूम रहा था. पुलिस को तीन दिन पहले सूचना मिली कि आशीष व विनोद अपने दस्ते के साथ लौकी जमगई होते हुए बोराडीह की ओर बढ़ रहे हैं. इसके बाद कोबरा के कमांडेंट कमलेश कुमार सिंह के नेतृत्व में 25-25 जवानों की तीन टुकड़ियों ने नक्सलियों का पीछा किया. रविवार को जैसे ही नक्सली बोराडीह जंगल कैंप में रुके, जवान वहां पहुंचे और शीर्ष नक्सली आशीष को मार गिराया.

गोलीबारी से सहम गये थे गांव के लोग

जब गोलीबारी हो रही थी, तो बोराडीह गांव के लोग सहम गये थे. घटना स्थल गांव से दो किमी दूर था. परंतु गोली की आवाज गांव तक पहुंच रही थी. कुछ लोग खेत में थे तो वे डर से घर भाग गये. कुछ लोग खेत में ही दुबक गये. ग्रामीणों ने कहा कि पहली बार इस प्रकार गोलीबारी की आवाज सुनी है. एक घंटे तक गांव के लोग डरे हुए थे.

सर, मैं पढ़ती हूं, पिता बैल चराते हैं

गुमला. डीजीपी घटना स्थल से लौट रहे थे. इसी क्रम में बोराडीह गांव में कुछ लोग मिल गये. वहीं पास गांव की नीलिमा कुमारी थी. वह जय किसान हाई स्कूल मांझाटोली में पढ़ती है. करम पर्व को लेकर छुट्टी में घर गयी थी. डीजीपी ने उससे दस मिनट तक बात की. उसकी पढ़ाई व परिवार की स्थिति के बारे में पूछा. नीलिमा ने कहा : मैं पढ़ती हूं. पिता बैल चराते हैं. अभी भी पिताजी बैल चराने गये हैं. इसपर डीजीपी ने कहा : तुम पढ़ो और आगे बढ़ो. अभी नौ क्लास में हो. एक साल बाद मैट्रिक पास करोगी. गांव व अपने परिवार के लिए तुम पढ़ लिख कर अच्छे मुकाम पर पहुंचो.

नकद चार लाख का इनाम दिया

गुमला. नक्सली आशीष को मार गिराने में शामिल कोबरा के कमांडेंट कमलेश सिंह व जवानों को डीजीपी ने जंगल में ही सम्मानित किया. डीजीपी नकद राशि को गुलाबी रंग के लिफाफे में बंद कर ले गये थे. सभी जवानों को चार लाख रुपये इनाम की राशि दी. नक्सली के ऊपर 25 लाख रुपये का इनाम है. डीजीपी ने कहा कि उक्त राशि बाद में देंगे.

सर, आपसे दुबारा जंगल में मिलेंगे

डीजीपी ने जंगल में कोबरा, सीआरपीएफ व झारखंड पुलिस के जवानों का उत्साह बढ़ाया. डीजीपी ने कहा : जोश के साथ होश से भी काम करना है. कोई काम ज्यादा जोश में न करें, जिससे उसका परिणाम दूसरा हो. आप सोचे, समझें फिर काम करें. डीजीपी के उत्साहवर्धक बात सुनने के बाद कोबरा के जवानों ने कहा : सर, आपसे दुबारा हम फिर जंगल में ही मिलेंगे. आपने जो टारगेट दिया है, उसे हम पूरा करेंगे.

खेत के पानी से हाथ धोया

गुमला. डीजीपी डीके पांडेय व राज्य के अन्य पुलिस पदाधिकारी बोराडीह गांव से घटना स्थल दो किमी पैदल चले. छोटी नदी व नाला पार की. पगडंडी व खेत से चले. साथ में एडीजे अनुराग गुप्ता, ऑपरेशन आइजी एमएस भाटिया, डीआइजी आरके धान, ऑपरेशन एसपी राकेश बंसल, गुमला एसपी चंदन कुमार झा, एएसपी पवन कुमार सिंह सहित कई ऑफिसर थे. घटना स्थल से लौटने के क्रम में डीजीपी ने खेत से नाला में बह रहे पानी से हाथ धोया. आसपास के मनोरम दृश्य को देखा. उन्होंने कहा कि यह मिनी कश्मीर है, कितनी सुंदर जगह है.

कमांडेंट की जुबानी मुठभेड़ की कहानी

कोबरा-209 बटालियन के कमांडेंट कमलेश कुमार सिंह ने कहा : रविवार सुबह बोराडीह जंगल पहुंचे. माओवादियों के कैप से दूरी बना कर रुक गये. दूरबीन से उनकी गतिविधि को देखा. सबसे ऊंचे पहाड़ पर बने नक्सली कैंप में दो-तीन लोग नजर आये. स्पष्ट नहीं था कि नक्सली हैं या ग्रामीण. हमलोग धीरे-धीरे कैंप के करीब पहुंचे. दूरबीन से देखा, तो हथियारबंद लोग दिखे. तीन तरफ से हमने कैंप की घेरांबदी की और दो जगह बैठे नक्सलियों को 25 मीटर के दायरे में घेर लिया. उधर से फायरिंग शुरू हुई, तो हमने मुंहतोड़ जवाब दिया. आशीष को गोली लगी. वह नीचे गिर गया. बाकी नक्सली भाग गये. कैंप को ध्वस्त कर दिया गया.

डीजीपी डीके पांडेय ने कहा कि राज्य की सुरक्षा व विकास के लिए पुलिस काम कर रही है. झारखंड को सुरक्षित दिशा में ले जाना है. उन्होंने नक्सलियों से सरेंडर करने को कहा. कहा कि इनाम की राशि भी मिलेगी. आंध्रप्रदेश व तेलांगना के नक्सलियों का झारखंड में क्या काम. वे झारखंड को बरबाद करने में लगे हैं. सुधाकर से उन्होंने सरेंडर करने के लिए कहा. एक करोड़ रुपये देने की भी बात कही. कहा कि गुमला जिला को नक्सलमुक्त बनाना है. नक्सली पुल, पुलिया, सड़क व बड़े भवन बनने नहीं दे रहे हैं. यह गलत नीति है. विकास में बाधा न डालें. गुमला में बनालात व लोहरदगा में पेशरार एक्शन प्लान चल रहा है.

सीआरपीएफ डीजी पहुंचे : सीआरपीएफ के डीजी के दुर्गा प्रसाद घटना स्थल पहुंचे. वे आधा घंटा तक जंगल में रहे और जवानों का हौसला बढ़ाया.

खुले में शौच न जायें, शौचालय बनवायें : डीजीपी : पालकोट प्रखंड में बोराडीह गांव है, जहां आज तक प्रशासन नहीं पहुंचा है. पंचायत सेवक व जनसेवक भी गांव नहीं गये हैं. मुखिया ने चुनाव जीतने के बाद दर्शन नहीं दिया है. सोमवार को उस गांव में राज्य के डीजीपी डीके पांडेय थे. गांव के पिंडा के पास कुछ लोग बैठे थे. डीजीपी वहीं रूक गये. देखा गांव में बिजली नहीं है.

एक सोलर लाइट लगी थी. वह भी भगवान भरोसे है. श्री पांडेय गांव के लोगों से सीधे मुखातिब हुए. गांव की समस्याओं के बारे में पूछा.सिसिलिया, गंदुर खड़िया व पीयुष किंडो ने कहा : गांव में 84 घर है. हुजूर यहां समस्या ही समस्या है. चलने के लिए सड़क नहीं है. पुलिया नहीं है. गांव में बिजली नहीं है. किसी के घर में शौचालय नहीं है. बड़ी मुश्किल से लोग जी रहे हैं. डीजीपी ने कहा: गांव का विकास होगा. आप खुले में शौच न जायें. शौचालय बनवायें. इस पर ग्रामीणों ने कहा : ठेकेदार पैसा खा जाते हैं. कहां से शौचालय बनेगा. डीजीपी ने कहा कि ठेकेदारों से शौचालय नहीं बनवाना है. सरकार पैसा दे रही है, आप खुद शौचालय बनवायें.

आशीष के बॉडीगार्ड को पुलिस ने बना लिया था अपना मुखबिर

रांची : आशीष के मारे जाने से माओवादी संगठन को बड़ा झटका लगा है. आशीष संगठन में स्पेशल एरिया कमेटी (सैक) का सदस्य था. उसे टेक्नोलॉजी की अच्छी जानकारी थी और माओवादी संगठन के सिद्धांत की अच्छी जानकारी थी. पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता आइजी अभियान एमएस भाटिया बताते हैं : हाल में जो नक्सली पकड़े गये या सरेंडर किया, उसके द्वारा यह जानकारी दी गयी थी कि टेक्नोलॉजी की अच्छी जानकारी होने की वजह से आशीष को लैंड माइन ब्लास्ट करने में विशेषज्ञता थी. रिमोट से लैंड माइन ब्लास्ट करने वह दक्ष था. हथियार में छोटी-मोटी खराबी को भी दूर खुद ही कर देता था. आशीष के बारे में बिहार पुलिस से संपर्क करके जानकारी मांगी गयी है.

अभी सिर्फ यह सूचना है कि वह जहानाबाद का रहनेवाला था. सूत्रों के मुताबिक पिछले साल रामगढ़ के पतरातू से गिरफ्तार माओवादी शिव प्रसाद ने पुलिस को सबसे पहले यह जानकारी दी थी कि आशीष गुमला में है. वह बिहार से आया है. इसके बाद पुलिस के समक्ष जब नक्सली चश्मा विकास ने सरेंडर किया था, तब भी पुलिस को आशीष के बारे में जानकारी मिली थी, तभी पुलिस को पता चला था कि आशीष संगठन में स्पेशल एरिया कमेटी रैंक में है. पुलिस के अधिकारी बताते हैं : झारखंड पुलिस को करीब 13 माह बाद शीर्ष माओवादी नेता को मार गिराने जैसी कामयाबी मिली है. इससे पहले 25 जुलाई को गुमला के ही चैनपुर में पुलिस ने संगठन के रिजनल कमेटी सदस्य सिलवेस्टर को मार गिराया था.

पुलिस ने एक नक्सली प्रसाद को गिरफ्तार भी किया था. इसी साल 23 फरवरी को गुमला के पालकोट में एक मुठभेड़ में जोनल कमेटी सदस्य संजय यादव के मारे जाने के बाद आशीष को गुमला इलाके की जिम्मेदारी दी गयी थी. हालांकि संगठन ने उसे करीब ढाई साल पहले झारखंड में लाया था. वह गुमला, सिमडेगा, लातेहार व पलामू के इलाकों में लगातार सक्रिय था. वह पुलिस के लिए लगातार चुनौती बना हुआ था. आइबी, स्पेशल ब्रांच, कोबरा और राज्य पुलिस के अधिकारी लगातार इस नक्सली को घेरने की कोशिश में लगे थे.

आशीष के बारे में पुलिस को ज्यादा जानकारी नहीं : गुमला के पालकोट इलाके में पुलिस ने जिस नक्सली आशीष यादव को मार गिराया है, उसके बारे में पुलिस अफसरों को ज्यादा जानकारी नहीं है. उसके पैतृक घर, पिता के बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी. बताया जाता है कि पुलिस ने आशीष के पीछे जिस गुप्तचर को लगाया, वह माओवादी नेता का बॉडीगार्ड था. उसी ने पुलिस को आशीष के पालकोट के जंगल में होने की सूचना दी थी.

राज्य सरकार द्वारा जिन 100 नक्सलियों के खिलाफ इनाम की घोषणा की गयी है. उनमें स्पेशल एरिया कमेटी के 12 नक्सलियों के नाम हैं. भाकपा माओवादी के जिन नक्सलियों के नाम सूची में हैं, उसमें अनल दा, नंदलाल मांझी, जया उर्फ चिता, अजीत उरांव, बिरसाई, अनुज उर्फ सहदेव, लालचंद हेंब्रम, विजय यादव, राहुल उर्फ रंजीत पाल, सौरभ यादव, संदीप सोरेन व रघुनाथ हेंब्रम शामिल हैं. इस सूची में आशीष यादव का नाम नहीं है. इस बारे में पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता आइजी एमएस भाटिया कहते हैं कि कई नक्सली ऐसे हैं, जिनका असली नाम हमें नहीं पता. उनके उपर भी इनाम जारी है.

एसडीपीओ को काली चींटी ने काटा

गुमला. बोराडीह दुर्गम इलाका है. जंगल से शव लेकर रात को पालकोट आना मुश्किल था. कोबरा के साथ बसिया अनुमंडल के एसडीओ अमर कुमार, एसडीपीओ बच्चनदेव कुजूर, थानेदार नित्यानंद महतो, पुअनि बिगु राम, पी पिंगुवा जंगल में ही रूक गये. रात को बारिश हो रही थी. पेड़ के नीचे खड़े होकर बचे. बारिश बंद हुई, तो पहाड़ के चट्टान पर सभी सो गये, परंतु जंगली काली चीटी ने सभी को परेशान किया. एसडीपीओ श्री कुजूर के कान में चीटी ने काटा, जिससे वे रातभर सो नहीं सके. सुबह हुई, तो सभी ने चैन की सांस ली.

पत्थर पर बैठ कर लिखने लगे

गुमला : डीजीपी डीके पांडेय घटना स्थल पहुंचे और मामले की पूरी जानकारी ली. इसके बाद वे जंगल में ही पत्थर पर बैठ गये. थानेदार नित्यानंद महतो को बुलाया और उनसे पूरी जानकारी ली. अपनी डायरी में लिखा. नक्सली के पास से क्या मिला, कितने बजे की घटना है. यह सभी जानकारी डीजीपी ने ली. 20 मिनट तक वे बैठ कर लिखते रहे. इसके बाद जवानों का हौसला बढ़ा कर लौट गये.

बूढ़ा व जयगिर पहाड़ में माओवादी पड़ेंगे कमजोर: एसपी

लातेहार : माओवादियों के एरिया कमांडर राजेश सिंह उर्फ पकौड़ी सिंह एवं प्लाटून फॉरमेशन सब जोनल कमांडर निर्मल जी उर्फ निर्मल सिंह की गिरफ्तारी को पुलिस बड़ी कामयाबी मान रही है.

पुलिस अधीक्षक अनूप बिरथरे ने कहा कि इनकी गिरफ्तारी से बूढ़ा पड़ाड़ एवं जयगिर पहाड़ में माओवादियों द्वारा चलाये जा रहे शिविर एवं ट्रेनिंग सेंटरों के संचालन में धक्का लगा है. गिरफ्तार राजेश सिंह केंद्रीय सदस्य सुधाकरण एवं अरविंद जी के दस्ते का सुरक्षा प्रमुख था.

गिरफ्तार माओवादी राजेश सिंह जिले के छीपादोहर थाना क्षेत्र के ग्राम बेरे पोस्ट लात के रहने वाले है, जबकि निर्मल सिंह छीपादोहर के गासेदाग ग्राम का रहने वाला है. पुलिस को जानकारी मिली थी कि माओवादी सुधाकरण के साथ आंध्रप्रदेश से 20 प्रशिक्षित माओवादियों का दस्ता इस क्षेत्र में आया है. राजेश एवं निर्मल छुट्टी लेकर अपने अपने घर आये हैं.

इस जानकारी पर अपर पुलिस अधीक्षक मनीष भारती, सीआरपीएफ 112 वीं के कमांडेंट संजय मोहंती एवं बरवाडीह पुलिस उपाधीक्षक मंगल सिंह जामुदा के संयुक्त नेतृत्व में एक छापामारी टीम गठित की गयी. इस टीम में छीपादोहर थाना प्रभारी विनय कुमार, सीआरपीएफ 112 वीं के सहायक समादेष्टा जय प्रकाश सिंह, पुलिस जवान रामधार यादव, राजेश कुमार व प्रकाश चंद्र पाठक शामिल थे.

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