26 गुम 2 में इस प्रकार ट्रक से सफर करते हैं छात्र.प्रतिनिधि, घाघराघाघरा प्रखंड क्षेत्र के बॉक्साइट माइंस खनन के दर्जनों गांव के सैकड़ों छात्र-छात्राएं जान जोखिम में डाल कर विद्यालय आने जाने को विवश हंै. माइंस क्षेत्र में हाइस्कूल नहीं होने से छात्र प्रखंड मुख्यालय आकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. माइंस क्षेत्र में कार्यरत कंपनी द्वारा गांव में बुनियादी सुविधाएं नहीं मुहैया कराने से छात्रों के समक्ष प्रखंड मुख्यालय आने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है. वहीं माइंस क्षेत्रों की सड़कों की स्थिति भी काफी जर्जर है. उत्खनन करने से पूर्व सरकार ने उस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कंपनी से करार कराया था. उसके बावजूद कंपनी द्वारा कोई सुविधा नहीं करायी गयी. वहीं दूसरी ओर बॉक्साइट लदे ट्रकों में स्कूल आने वाले छात्रों के परिजन कहते हंै कि जब तक बच्चे स्कूल से वापस घर नहीं आते हैं. तब तक चिंता बनी रहती है. ग्रामीणों द्वारा क्षेत्र में सुविधा मुहैया कराने के लिए लंबे समय आंदोलन के बाद एक स्कूल बस देकर चुपचाप करा दिया है. बस में मात्र एक सौ बच्चे ही स्कूल आ जा पाते हंै. जबकि माइंस क्षेत्र के लगभग एक हजार से अधिक बच्चे प्रतिदिन स्कूल आते जाते हैं. परिजनों ने कहा कि स्थानीय सांसद व विधायक भी इस दिशा में कोई पहल नहीं करते हंै. किसान मोरचा के सदस्य भिखारी भगत ने कहा कि हिंडालको कंपनी इस क्षेत्र से खनिज का दोहन कर करोड़ों रुपये कमा रही है. इस क्षेत्र के लिए लाल मिट्टी धूल फांकने के लिए छोड़ रही है. अगर कंपनी ने सरकार से सुविधा मुहैया कराने का करार किया है, तो कंपनी को सुविधाएं मुहैया करानी होगी. सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी, तो तीव्र आंदोलन किया जायेगा.
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जान जोखिम में डाल सफर करते हैं स्कूली बच्चे
26 गुम 2 में इस प्रकार ट्रक से सफर करते हैं छात्र.प्रतिनिधि, घाघराघाघरा प्रखंड क्षेत्र के बॉक्साइट माइंस खनन के दर्जनों गांव के सैकड़ों छात्र-छात्राएं जान जोखिम में डाल कर विद्यालय आने जाने को विवश हंै. माइंस क्षेत्र में हाइस्कूल नहीं होने से छात्र प्रखंड मुख्यालय आकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. माइंस क्षेत्र में कार्यरत […]
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