प्रतिनिधि, बिशुनपुरबिशुनपुर प्रखंड से 28 किमी दूर स्थित जंगल, झाड़ व पहाड़ों के बीच स्थित परसनिया गांव आज भी विकास की बाट जोह रहा है. यह क्षेत्र उग्रवाद प्रभावित है. यहां सरकारी सुविधा के नाम पर शून्यता है. लोगों का सपना है कि कभी तो इस गांव का विकास होगा. परसनिया गांव बिशुनपुर प्रखंड के जमटी पंचायत में आता है. गांव में कुल दस घर हैं. आबादी बच्चे, बूढ़े, जवान, महिला व पुरुष मिला कर लगभग 90 हैं. इस गांव में जाने के लिए रास्ते नहीं है. स्वच्छ जल पीने के लिए चापानल नहीं है. 10 परिवार में मात्र दो परिवार के पास बीपीएल कार्ड है. मगर उन्हें भी सरकार की ओर से कुछ नहीं मिलता है. वृद्धावस्था पेंशन, इंदिरा आवास, विधवा पेंशन, अंत्योदय जैसे सरकारी योजनाओं से ग्रामीण महरुम हैं. यहां सिंचाई का कोई साधन नहीं है. खेती के लिए ग्रामीणों को बरसात का इंतजार करना पड़ता है. अन्य दिनों कमाने व खाने के लिए दूसरे शहर पलायन कर जाते हैं. सबसे बुरा हाल यहां मनरेगा का है. मनरेगा के तहत यहां एक भी काम नहीं हो रहा है. जॉब कार्ड भी किसी का नहीं बना है. सबसे बड़ी बात किसी के पास राशन कार्ड भी नहीं है. गांव के लोगों ने गांव की समस्या को लेकर डीसी को ज्ञापन सौंप चुके हैं. परंतु गांव की समस्या दूर नहीं हुई है. बताया जा रहा है कि इस गांव में आज तक प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचे हैं.
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विकास की बाट जोह रहा परसनिया गांव
प्रतिनिधि, बिशुनपुरबिशुनपुर प्रखंड से 28 किमी दूर स्थित जंगल, झाड़ व पहाड़ों के बीच स्थित परसनिया गांव आज भी विकास की बाट जोह रहा है. यह क्षेत्र उग्रवाद प्रभावित है. यहां सरकारी सुविधा के नाम पर शून्यता है. लोगों का सपना है कि कभी तो इस गांव का विकास होगा. परसनिया गांव बिशुनपुर प्रखंड के […]
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