दुर्जय पासवान, गुमला
गुमला के तेतरडीपा में रहने वाले विलुप्त प्राय: कोरवा जनजाति के लोगों को मोबाइल चार्ज करने में 10 रुपये लग रहा है. हर रोज लोग दूसरे गांव या फिर गुमला आकर मोबाइल चार्ज कराते हैं. इसके एवज में 10 रुपये कोरवा जाति के लोगों को चार्ज करने वाले व्यक्ति को देना पड़ता है. क्योंकि तेतरडीपा गांव में आजादी के 70 साल बाद भी बिजली नहीं पहुंची है. जबकि यह गांव गुमला शहर से मात्र आठ किमी दूर है.
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब मिशन बदलाव के राज्य संयोजक भूषण भगत, जितेश मिंज, प्रेम प्रकाश कच्छप, राजू कोरवा व सेंटर स्कूल ऑफ रूरल डेवलपमेंट अहमदनगर पूना विश्वविद्यालय के रिसर्च स्क्लोर पवन नागवंशी गांव पहुंचे. गांव में मिशन बदलाव के लोगों ने कोरवा जनजाति के लोगों से बैठक की. बैठक में लोगों ने जो जानकारी दी. यह सरकार की योजनाओं व प्रशासनिक कार्य पर सवाल खड़ा कर रहा है.
गांव में न पीने का पानी है और न ही रहने के लिए पक्का घर. आज भी इस जाति के लोग विलुप्त होने की कगार पर जी रहे हैं. कुछ लोगों के पास राशन कार्ड है. लेकिन राशन लाने के लिए इस गांव के लोगों को 13 किमी दूर जोड़ाडाड़ जाना पड़ता है. सरकारी दर पर जितना चावल का दाम है. उससे अधिक राशन लाने में खर्च हो जाता है.
इस जाति के लोगों के घर तक डाकिया योजना का राशन पहुंचाकर देना है. परंतु आपूर्ति विभाग की लापरवाही से इन लोगों के अनाज की कालाबाजारी हो रही है. बिरसा आवास मिला था, परंतु विभाग से मिलकर बिचौलिये पैसा खा गये. आवास अधूरा रह गया. स्कूल था. उसे भी शिक्षा विभाग गुमला ने कम छात्र का हवाला देकर बंद कर दी. अब छात्र स्कूल नहीं जाते हैं. गांव के लोग जंगल से सुखी लकड़ी जमा कर बाजार में बेचते हैं. उसी से परिवार की जीविका चलती है.
गांव में कोरवा जनजाति के 17 परिवार है. भूषण ने कहा है कि गांव के दौरा के बाद एक रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है. इस रिपोर्ट को सरकार के सचिव सुनील वर्णवाल को सौंपा जायेगा. साथ ही सीएम से मिलकर भी गांव की हालात की जानकारी दी जायेगी. क्योंकि गांव की जो स्थिति है. इसका समाधान प्रशासन नहीं कर पा रही है.