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गुमला : लगान बकाये के कारण नीलाम हुई जमीन वापस मांग रहे हैं टाना भगत

देश आजाद हुआ, तो टाना भगतों ने अपनी नीलाम जमीन की मांग की, परंतु आजादी के 70 सालों बाद भी कुछ हासिल नहीं हुआ दुर्जय पासवान गुमला : सिर पर गांधी टोपी, बदन पर खादी वस्त्र, हाथों में शंख व घंट. यही टाना भगतों की पहचान है. देश को आजाद कराने में टाना भगत महात्मा […]

देश आजाद हुआ, तो टाना भगतों ने अपनी नीलाम जमीन की मांग की, परंतु आजादी के 70 सालों बाद भी कुछ हासिल नहीं हुआ

दुर्जय पासवान

गुमला : सिर पर गांधी टोपी, बदन पर खादी वस्त्र, हाथों में शंख व घंट. यही टाना भगतों की पहचान है. देश को आजाद कराने में टाना भगत महात्मा गांधी के साथ कदम से कदम मिला कर चले, पर आज वे अपने ही गांव-घर में बेगाने हैं.

सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले टाना भगत अपना हक व अधिकार मांग रहे हैं. गुमला जिले में स्वतंत्रता संग्राम के समय टाना भगतों ने लगान नहीं दिया था. इस कारण अंग्रेजों ने 658 टाना भगतों की जमीन को नीलाम कर दिया था. जब देश आजाद हुआ, तो टाना भगतों ने अपनी नीलाम जमीन वापस करने की मांग की, परंतु आजादी के 70 सालों बाद भी जमीन नहीं मिली.

जमीन की मांग को लेकर टाना भगत लगातार आंदोलन भी कर रहे हैं. इसके अलावा टाना भगत आज भी सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं. गुमला में न तो टाना भगत के बच्चों के लिए स्कूल है और न हॉस्टल. गांवों की स्थिति भी खराब है. टाना भगत के गांवों तक जाने के लिए कच्ची सड़क है. पानी, बिजली, स्वास्थ्य, सिंचाई की समस्या है. आज भी ये लोग मिट्टी व खपरैल घर में रहते हैं.

1912 में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंका

टाना भगतों के पूर्वज जतरा टाना भगत ने 12 दिसंबर 1912 को अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंका था. यह आंदोलन 100 वर्ष पार कर गया है.

जतरा टाना भगत ने जमींदारी प्रथा व अंग्रेजी साम्राज्य के जुल्मों सितम के खिलाफ आवाज उठायी थी. 1914 में महात्मा गांधी व सुभाषचंद्र बोस जैसे महापुरुषों से मिलकर टाना भगतों ने अंग्रेजों से लोहा लिया था, लेकिन 1915 में अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. छह माह तक वे जेल में रहे. जेल में यातनाएं दी गयीं. 1916 में वह जेल से छूटे. दो महीने बाद उनका निधन हो गया.

अपने ही गांव में बेगाने हैं टानाभगत

घाघरा प्रखंड के कसपोड़या गांव में एक टोला टाना भगतों का है. यहां टाना भगत के 12 परिवार रहते हैं. इस गांव के गाला टाना भगत, बिरसू टाना भगत, बिरिया टाना भगत, सोमा टाना भगत, मैरा टाना भगत, सुना टाना भगत व सनिया टाना भगत ने जतरा टाना भगत से मिलकर जमींदारी प्रथा के खिलाफ आवाज उठायी थी.

जेल भी गये थे, लेकिन आज उनके वंशज अपने ही गांव में बेगाने हैं. कसपोड़या गांव में रहने वाले टाना भगत गरीब हैं. तीन परिवार को पीएम आवास मिला है. बाकी सभी लोग मिट्टी व खपरैल घर में रहते हैं. कई लोग पलायन भी कर गये.

गुमला जिले में 7013 है टाना भगतों की संख्या

गुमला जिले में टाना भगतों के कुल 1125 परिवार हैं, जिनकी जनसंख्या 7013 है. इसमें रायडीह प्रखंड में 233, पालकोट में 385, सिसई में 1889, गुमला में 678, बसिया में 471, भरनो में 413, चैनपुर में 163, घाघरा में 1395 व बिशुनपुर प्रखंड में 1396 जनसंख्या है.

टाना भगतों ने कहा : नहीं मिली है पूरी आजादी

मेरा उम्र 80 वर्ष है. हमारे पूर्वज जमींदार व अंग्रेजों से लड़े, तब हमें आजादी मिली. जो सुविधा हमें मिलनी चाहिए, वह नहीं मिली. अभी भी पूरी आजादी नहीं मिली है.

बुधनी टाना भगत

मेरे पास तीन एकड़ जमीन है. सभी जमीन पर केस चल रहा है. हमारी जमीन को नीलाम कर दिया गया. जमीन वापस करने की मांग कर रहे हैं, पर सरकार ध्यान नहीं दे रही.

धनिया टाना भगत

घाघरा प्रखंड के कसपोड़या गांव में 12 परिवार हैं, लेकिन गांव की स्थिति व गरीबी के कारण हर परिवार से एक व दो सदस्य मजदूरी के लिए पलायन कर गये हैं.

बुदे टाना भगत

पूरे गुमला जिले में सिर्फ घाघरा प्रखंड में जतरा टाना भगत के नाम से स्कूल है. लेकिन सीओ व कर्मचारियों द्वारा प्रमाण पत्र नहीं बनाने के कारण बच्चों का नामांकन नहीं होता है.

बैजनाथ टाना भगत

कसपोड़या गांव में टाना भगतों की 21 एकड़ जमीन है. सब पर केस चल रहा है और हम जमीन वापसी के लिए आंदोलन कर रहे हैं. हम जमीन लेकर रहेंगे.

कार्तिक टाना भगत

हमारे पूर्वज कहते थे कि जल, जंगल व जमीन हमारे हैं. हमारे गांव में जमींदार जंगल काट रहे थे. हमने जमींदारों को खदेड़ कर जंगल बचाया. परंतु हमें अभी भी न्याय नहीं मिला है.

महरनिया टाना भगत

थोड़ी सी जमीन है, जिसमें खेती करते हैं. उससे जो पैसा कमाते हैं. उसमें से अधिकांश जमीन पर चल रहे केस में खर्च हो जाता है. हमारे साथ गलत हो रहा है.

जीती टाना भगत

स्वतंत्रता संग्राम के समय टाना भगतों की जमीन नीलाम हुई थी. वह भी अभी तक वापस नहीं हुई है. आजादी के 70 साल बीत गये हैं़ हम लोगों का आंदोलन जारी है. फिर भी न्याय नहीं मिला.

बलकू टाना भगत

टाना भगतों की क्या है समस्या व मांग

1. अभी तक गुमला जिले के 415 टाना भगतों की जमीन वापस नहीं हुई है. इसका रकबा 2780 एकड़ 36 डिसमिल है. टाना भगतों ने नीलाम जमीन की पुन: सीओ से जांच करा कर वापस कराने की मांग की है.

2. आजादी के 70 साल बाद भी टाना भगतों के जीवन स्तर में सुधार नहीं हुआ है.

3. टाना भगत आजादी से पहले से खुले आसमान के नीचे मैदान में बैठक करते आ रहे हैं. प्रशासन से अनुरोध है कि टाना भगतों के लिए अखिल भारतीय टाना भगत जिला परिषद गुमला में कमेटी भवन का निर्माण कराया जाये.

4. गुमला प्रखंड में एक भी टाना भगत बालक-बालिका आवासीय स्कूल नहीं है. इसलिए प्रखंड में बालक आवासीय विद्यालय के लिए धोधरा खोरा गांव व बालिका के लिए अटरिया फोरी गांव को कल्याण विभाग स्वीकृत करे.

5. टाना भगतों के इंटर व बीए पास बच्चे को योग्यता के आधार पर गुमला जिला में सरकारी वेतनमान पर नियुक्ति किया जाये.

6. गुमला जिले की हर पंचायत, जिस गांव में टाना भगत निवास करते हैं, वहां कृषि कार्य हेतु डीप बोरिंग व बिजली की व्यवस्था की जाये.

7. बिशुनपुर प्रखंड से हेलता गांव तक सात किमी की दूरी है. इस क्षेत्र में टाना भगत निवास करते हैं. गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं है.

8. टाना भगतों की हड़पी गयी जमीन वापस की जाये. टाना भगतों की रैयती भूमि का लगान माफ किया जाये.

9. झारखंड राज्य के विभिन्न जिलों में निवास करने वाले कई टाना भगत भूमिहीन हैं. ऐसे लोगों को सरकार भूमि दे, ताकि टाना भगत भी अपने घर पर रह सकें.

10. टाना भगतों के बच्चों की पढ़ाई, आवासीय सुविधा, स्वास्थ्य की व्यवस्था सरकार अपने स्तर से करे.

11. टाना भगतों के महानायक व स्वतंत्रता सेनानी स्व जतरा टाना भगत के नाम पर पार्क, प्रतिमा, समाधि स्थल, कमेटी भवन व अतिथि गृह भवन का निर्माण गुमला में हो.

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