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विद्यालयों में नहीं हो रहा बच्चों का ठहराव
गोड्डा : सरकारी स्कूलों में लजीज मध्याह्न भोजन में अंडा फल खाने के बावजूद भी स्कूलों में बच्चों का पूरी तरह से ठहराव सुनिश्चित कराना एक चुनौती है. वित्तीय वर्ष 2016-17 में सर्व शिक्षा अभियान की ओर से ड्रॉपआउट 5059 बच्चों को स्कूल की चौखट तक पहुंचाया गया था. वहीं विभाग में वित्तीय वर्ष 2017-18 […]
गोड्डा : सरकारी स्कूलों में लजीज मध्याह्न भोजन में अंडा फल खाने के बावजूद भी स्कूलों में बच्चों का पूरी तरह से ठहराव सुनिश्चित कराना एक चुनौती है. वित्तीय वर्ष 2016-17 में सर्व शिक्षा अभियान की ओर से ड्रॉपआउट 5059 बच्चों को स्कूल की चौखट तक पहुंचाया गया था.
वहीं विभाग में वित्तीय वर्ष 2017-18 में 2500 ड्रॉप आउट बच्चों को विद्यालय पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. एक बार फिर से विद्यालय से बाहर रह रहे बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने की मुहिम होगी. सर्व शिक्षा अभियान का उद्देश्य ही है 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को अभियान से जोड़ कर स्कूल पहुंचा कर शिक्षा ग्रहण कराना है. ड्रॉप आउट बच्चों को विद्यालय तक लाने के लिए विभाग पंख कार्यक्रम के तहत वैसे बच्चों को चिह्नित कर विद्यालय पहुंचाने का काम करती है.
कहां है अवरोध : ड्रॉपआउट बच्चों को प्रति वर्ष चिह्नित किया जाता है. स्कूलों में दाखिला कराया जाता है. माह में कुछ दिन बच्चे स्कूल जाते हैं फिर जाना छोड़ देते हैं. यहां अवरोध है. शिक्षकों व अभिभावकों को ध्यान देने की जरूरत है.
” हर वर्ष बच्चों को चिह्नित कर विद्यालय में दाखिला कराया जाता है. बच्चाें के ठहराव हेतु शिक्षकों को निर्देशित किया गया है. कमजोर बच्चों के लिए विशेष कक्षा के संचालन को भी कहा गया है. पंख कार्यक्रम के माध्यम से ऐसे बच्चों को जोड़ने का काम किया जाता है.
-अशोक कुमार झा, डीएसइ.
” अनियमित बच्चों को नियमित करने से ही ड्रॉप आउट पर नियंत्रण किया जा सकता है. बोआरीजोर व पोड़ैयाहाट के बीइइओ ने इस वर्ष के ड्रॉप आउट बच्चों की सूची अब तक उपलब्ध नहीं कराया है. 2500 बच्चों को चिह्नित कर स्कूल भेजे जाने का लक्ष्य है.
-कोमिशीला हेम्ब्रम, प्रभाग प्रभारी एसएसए.
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