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लाखों खर्च, फिर भी गंदगी

जिले में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर लगातार कई कार्यक्रम किये जा रहे हैं, लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इसके विपरीत सदर अस्पताल परिसर में पसरी गंदगी का ढेर इस अभियान को मुंह चिढ़ा रहा है, जबकि अस्पताल को स्वच्छता पर सबसे अधिक ध्यान देना चाहिए. गंदगी से मरीजों में इन्फेक्शन का खतरा […]

जिले में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर लगातार कई कार्यक्रम किये जा रहे हैं, लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इसके विपरीत सदर अस्पताल परिसर में पसरी गंदगी का ढेर इस अभियान को मुंह चिढ़ा रहा है, जबकि अस्पताल को स्वच्छता पर सबसे अधिक ध्यान देना चाहिए. गंदगी से मरीजों में इन्फेक्शन का खतरा रहता है. गंदगी के ढेर से निकलनेवाली बदबू ने मरीजों और उनके साथ आनेवाले परिजनों को परेशान कर रखा है.
राकेश/अभय
गिरिडीह : एक ओर गिरिडीह के डीसी उमाशंकर सिंह सदर अस्पताल की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं, वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के कारण परिसर के अंदर जगह-जगह कूड़े-कचरे का ढेर पसरा हुआ है. स्वच्छत भारत मिशन का अस्पताल प्रबंधन पर कोई खास असर नहीं दिख रहा है. जबकि सफाई के मद में प्रतिमाह लाखों रुपये खर्च किये जा रहे हैं.
40 सफाई कर्मियों के नाम से बनता है बिल: सदर अस्पताल की सफाई व्यवस्था के लिए 40 सफाईकर्मियों के नाम से बिल बनाया जाता है. अन्नपूर्णा यूटिलिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के साथ अस्पताल प्रबंधन ने करार किया है. इस कंपनी को सफाई के लिए 30 पुरुष व 10 महिला सफाईकर्मी मिले हैं. साथ ही परिचारिका श्रेणी ए के लिए पांच और कक्ष सेवक के लिए चार कर्मियों की अस्पताल में तैनाती के लिए कार्यादेश दिये गए हैं.
अस्पताल के एक कर्मी ने बताया कि पूर्व में मात्र सात कर्मी ही थे, बावजूद सफाई की अच्छी व्यवस्था रहती थी, लेकिन आज 40 कर्मियों को लगाये जाने के बाद भी सफाई की स्थिति अच्छी नहीं है. जबकि इस मद में प्रत्येक माह लगभग 3.27 लाख रुपये खर्च किये जा रहे हैं. ऐसे में सफाई कर्मियों की तैनाती पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं. हालांकि काम कर रही एजेंसी को पिछले कई माह से भुगतान नहीं हो सका है. पिछले दिनों झारखंड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को 24 घंटे में चार बार सफाई कराने का निर्देश देते हुए कहा था कि अस्पताल परिसर में गंदगी की शिकायत मिली तो कार्रवाई की जाएगी. लेकिन इस चेतावनी का भी अस्पताल प्रबंधन पर कोई असर नहीं दिखता.
कूड़ेदान के बाहर फेंका जाता है वेस्टेज : सदर अस्पताल में प्रत्येक दिन चार बार झाड़ू व पोछा लगाया जाना है, लेकिन मरीजों के अनुसार दिन भर में एक बार सफाई कर खानापूर्ति कर दी जाती है. वार्डों व गलियारों में जहां-तहां मक्खियाें का प्रकोप है. अस्पताल का वेस्टेज परिसर के अंदर ही जहां-तहां फेंक दिया जाता है. नगर पर्षद ने कूड़ा एकत्रित करने के लिए परिसर के अंदर ट्रैक्टर की ट्राॅली भी लगा रखी है, लेकिन वेस्टेज को ट्राॅली में न फेंक कर बाहर फेंका जा रहा है.
सबको सुधारा नहीं जा सकता : सीएस
सिविल सर्जन डॉ कन्हैया प्रसाद ने कहा कि गिरिडीह के लोगों में सिविक सेंस नहीं है तो मैं क्या कर सकता हूं. यहां वर्क कल्चर ही नहीं है. सभी को सुधारा नही जा सकता. जगह-जगह गंदगी रहने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार पैसा दे नहीं रही, इसलिए सफाई कर्मियों का भुगतान नहीं हो पा रहा है.
अस्पताल की व्यवस्था को सुधारना ही प्राथमिकता : डीसी
गिरिडीह जिले में शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने को उपायुक्त उमाशंकर सिंह ने अपनी प्राथमिकता सूची में रखा है. लगातार शिकायत मिलने के बाद गिरिडीह सदर अस्पताल की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए श्री सिंह ने कई कदम उठाये हैं. अस्पताल की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कई स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गए हैं.
उपायुक्त अपने गोपनीय कार्यालय से सीधे अस्पताल की स्थिति पर नजर रखते हैं. यही कारण है कि कई मामलों में सुधार दिखने लगा है. डयूटी से गायब रहने वाले डाॅक्टर व कर्मी अब नजर आने लगे हैं. सदर अस्पताल में दिखाने वाले मरीजों की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन कई कर्मियों की लापरवाही इस प्रयास को विफल करने में लगी हुई है.

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