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बरसात शुरू होते ही स्वच्छ गढ़वा सुंदर गढ़वा की खुल गयी पोल

गढ़वा : अनुमंडल से जिला मुख्यालय बनने के बाद गढ़वा शहर (Garhwa Town) को सजाने व संवारने के लिए लगभग 12 वर्ष पूर्व गढ़वा नगर पंचायत का गठन किया गया था. गठन के बाद लोगों को लगा कि अब गढ़वा में भी बड़े शहरों की तर्ज पर विकास होगा और इसके अलावा उन्हें कई अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी, लेकिन बरसात शुरू होते ही स्वच्छ गढ़वा सुंदर गढ़वा (Clean Garhwa, beautiful Garhwa ) की पोल खुल गयी. पढ़िए जितेंद्र सिंह की रिपोर्ट.

गढ़वा : अनुमंडल से जिला मुख्यालय बनने के बाद गढ़वा शहर (Garhwa Town) को सजाने व संवारने के लिए लगभग 12 वर्ष पूर्व गढ़वा नगर पंचायत का गठन किया गया था. गठन के बाद लोगों को लगा कि अब गढ़वा में भी बड़े शहरों की तर्ज पर विकास होगा और इसके अलावा उन्हें कई अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी, लेकिन बरसात शुरू होते ही स्वच्छ गढ़वा सुंदर गढ़वा (Clean Garhwa, beautiful Garhwa ) की पोल खुल गयी. पढ़िए जितेंद्र सिंह की रिपोर्ट.

विकास का खाका हुआ था तैयार

गढ़वा की तस्वीर बदलने के लिए शुरुआती दौर में विकास को लेकर कुछ खाका भी तैयार किया गया. जिसमें 38 करोड़ की शहरी पाइपलाइन पेयजलापूर्ति योजना महत्वपूर्ण थी. इस योजना की आधारशिला पहले कार्यकाल के अंतिम समय में ही रखी गयी थी. दूसरे कार्यकाल में आबादी बढ़ने के साथ ही नगर पंचायत को नगर परिषद का दर्जा मिला और जिला मुख्यालय स्थित अंतरराज्यीयपालिका परिवहन पड़ाव तथा टाउन हॉल के रेनोवेशन का कार्य शुरू हुआ. यह तीनों योजनाएं जिला मुख्यालय के लिए अहम थे.

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कागजों पर रह गयीं योजनाएं

गढ़वा शहर की सूरत बदलने के लिए कागजों पर खूब मशक्कत की गयी, लेकिन ये दुर्भाग्य रहा कि तीनों योजनाएं अब तक पूरी नहीं हो सकीं. नगर परिषद का दर्जा मिलने के बाद नगर विकास विभाग से विकास की गति को तेज करने के लिए फंड भी बढ़ाया गया. इस बीच बोर्ड की बैठक में करोड़ों रुपये की योजनाएं भी पारित हुई, लेकिन वह कागजों तक ही सिमट कर रह गया.

12 वर्ष बाद भी नहीं बना डंपिंग यार्ड

नगर परिषद के गठन के 12 वर्ष बीत जाने के बाद भी डंपिंग यार्ड नहीं बन पाया. ये लापरवाही की पराकाष्ठा ही है. बीते 12 वर्षों में शहर से निकला कचरा शहर में ही फेंका जा रहा है. इससे नदी भी दूषित होने लगी है. वहीं पुरानी बाजार के समीप मिनी बाइपास के किनारे डंप किये गये कचरों से बरसात में बीमारी फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है.

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38 करोड़ की पाइपलाइन पेयजलापूर्ति योजना अधूरी

नगर परिषद के गठन के एक दशक बाद भी शहर के लिए सीवरेज ड्रेनेज की व्यवस्था नहीं होने से कई वार्डों में जल जमाव शहरवासियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. शहर के कई इलाके तो ऐसे हैं, जहां बरसात नहीं होने का बावजूद नाली का पानी सालोंभर जमा रहता है. ऐसे में शहर के लोग बार-बार यह पूछते हैं कि ऐसा ही रहा तो कब बनेगा स्वच्छ और सुंदर गढ़वा.

डंपिंग यार्ड का कार्य प्रारंभ

गढ़वा नगर परिषद अध्यक्ष पिंकी केशरी ने कहा कि पूर्व में परिहारा गांव में डंपिग यार्ड बनाने का कार्य शुरू हुआ, तो ग्रामीणों के विरोध के कारण उसे वाहन से हटाकर सुखबना से सटे केरवा में शुरू किया गया और उसकी चहारदीवारी का कार्य भी पूरा हो गया है.

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टाउन हॉल की जगह बनेगा मल्टीप्लेक्स

गढ़वा विधायक सह सूबे के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि अब टाउन हॉल की जगह आधुनिक मल्टीप्लेक्स का निर्माण कराया जायेगा. शहरी पेयजलापूर्ति योजना इस वर्ष के अंत तक पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा गढ़वा शहर ही नहीं, पूरे विधानसभा क्षेत्र की तसवीर बदलेगी.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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