गढ़वा : भवनाथपुर प्रखंड के आदिम जनजाति बहुल लरहा गांव में स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय में फरजी तरीके से छात्रों की उपस्थिति दिखाकर मध्याह्न भोजन की राशि की बंदरबाट की जा रही है. विदित हो कि आदिम जनजाति बहुल क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर को ऊंचा करने के उद्देश्य से इस गांव में भी उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय खोली गयी थी. इस पूरे गांव में मात्र एक युवक मनोज कुमार ही मैट्रिक पास है. अन्य लोग मेहनत मजदूरी करके अथवा दातुन व लकड़ी बेच कर परिवार का भरण पोषण करते हैं.
इस कार्य में घर के बच्चे भी सहयोग करते हैं. बच्चे स्कूल जाने के बजाय जंगल में जाकर लकड़ियां चुनते हैं और उसे बाजार ले जाकर बेचते हैं. इस विद्यालय में 48 बच्चों का नामांकन पंजी पर दर्ज है. लेकिन विद्यालय में आठ से 10 बच्चे मुश्किल से स्कूल इस उम्मीद से आते हैं कि उन्हें भोजन मिलेगा. विद्यालय के प्र्रधानाध्यापक वैजनाथ सिंह के अलावा एक सहयोगी शिक्षक मनोज कुमार यहां पदस्थापित हैं.
ग्राम शिक्षा समिति के अध्यक्ष रामप्रीत कोरवा ने बताया कि शिक्षक एवं विभाग की मिलीभगत से मध्याह्न भोजन की राशि की बंदरबाट की जाती है. उपस्थिति पंजी में भी फर्जी उपस्थिति दर्ज की जाती है. इस विद्यालय में किसी भी दिन 10 से अधिक बच्चे नहीं आते. लेकिन 48 बच्चों का भोजन कागजों में बनता है.
रसोईया फूलमति देवी ने कहा कि उन्हें कभी भी मध्याह्न भोजन में खिलाने के लिए अंडा नहीं मिला है और न ही कभी बच्चों को फल दिया गया है. सरकार द्वारा आदिम जनजाति के बच्चों को शिक्षित करने के लिए खोला गया यह विद्यालय लापरवाही एवं बिचौलियों के गठजोड़ से अपने उद्देश्यों से काफी दूर होता चला जा रहा है. ऐसे में इस गांव को शिक्षित बनाने का सपना कैसे पूरा होगा, यह सोचने वाली बात है.