घाटशिला : आइआरएल मजदूरों का बकाया वेतन भुगतान करे, अौद्योगिक अशांति पैदा नहीं करे. आइआरएल एचसीएल का कांट्रेक्टर है. आइआरएल के मजदूरों को अप्रैल का वेतन सीधा उनके खाते में भेजा गया था. चूंकि आरआरएल वेतन भुगतान करने में असमर्थता जता रही थी. इस स्थिति के लिए एचसीएल जिम्मेदार नहीं है. उक्त बातें मऊभंडार के निदेशक बंगला में आइसीसी के महाप्रबंधक डीके चौधरी ने रविवार की शाम में संवाददाता सम्मेलन में कही.
उन्होंने कहा कि आइआरएल के संचालक संस्था स्वाइन गोल्ड माइनिंग लिमिटेड का 2014 से नाम परिवर्तन कर मई में हमें सूचित की. इसके लिए एचसीएल जिम्मेदार नहीं है. एक कांट्रेक्टर अपना नाम और अपने बोर्ड आफ डायेरक्टर का नाम बदलता है, तो नियोक्ता को इसके पूर्व सूचना देनी चाहिए. एचसीएल और आइआरएल के सर्वोच्च रूप से प्रबंधन के बीच वार्ता हुई है. इससे गतिरोध लगभग समाप्त होने की उम्मीद है.
सुरदा खदान ही नहीं एचसीएल के मजदूरों का भी इस पर हक है. इस खदान पर ही सबकी रोजी रोटी निर्भर है. प्रखंड की अर्थव्यवस्था पर भी इसके परिचालन का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. मजदूरों का वेतन बकाया होने से परेशानी होती है. सम्मेलन में मुसाबनी माइंस प्रबंधक परवेज आलम, आइसीसी के एजीएम (एचआरएंडए) केपी बिसई समेत कई लोग उपस्थित थे.