दारीसाई : टीबी से सनातन सबर का शरीर हुआ कंकाल
Advertisement
दवा मिली है, पर गरीबी के कारण नहीं मिल पा रहा पौष्टिक भोजन
दारीसाई : टीबी से सनातन सबर का शरीर हुआ कंकाल गालूडीह : घाटशिला की बड़ाकुर्शी पंचायत के दारीसाई सबर बस्ती निवासी सनातन सबर (50) का शरीर बीमारी से कंकाल में तब्दील हो गया है. कई माह से टीबी की बीमारी से पीड़ित हैं. वे चल-फिर नहीं सकते. न ही कोई काम कर पाते हैं. रविवार […]
गालूडीह : घाटशिला की बड़ाकुर्शी पंचायत के दारीसाई सबर बस्ती निवासी सनातन सबर (50) का शरीर बीमारी से कंकाल में तब्दील हो गया है. कई माह से टीबी की बीमारी से पीड़ित हैं. वे चल-फिर नहीं सकते. न ही कोई काम कर पाते हैं. रविवार दोपहर वे अपने बिरसा आवास के फर्श पर लेटे थे. उनकी पत्नी सुकुरमनी सबर, बेटी सोमवारी सबर (12) और बेटा शंभु सबर (11) जंगल लकड़ी लाने गये थे. शाम में लकड़ी लेकर लौटते हैं और बेचते हैं तो भोजन नसीब होता है.
सनातन सबर ने बताया कि जाड़े के मौसम से बीमारी से ग्रसित हैं. काम नहीं कर पाते. पत्नी, बेटा-बेटी लकड़ी लाकर बेचते हैं तो परिवार चलता है. जविप्र का चावल प्रति माह 35 किलो मिलता है. वह महीना भर नहीं चल पाता. उचित भोजन का अभाव है. टीबी मरीज के लिए जो पौष्टिक आहार मिलना चाहिए वह सनातन को नहीं मिल पाता. इससे उसका शरीर कंकाल में तब्दील हो गया है.
बेटा-बेटी स्कूल के बजाय जाते हैं जंगल लकड़ी लाने : सनातन सबर बीमारी के कारण काम नहीं कर पाते. परिवार चलाने के लिए उनके बेटी सोमवारी सबर और बेटा शंभु सबर स्कूल जाने के बजाय अपनी मां सुकुरमनी सबर के साथ जंगल लकड़ी लाने जाते हैं. सोमवारी पायरागुड़ी मवि में कक्षा सात में नामांकित हैं, जबकि शंभु सबर दारीसाई प्रावि में कक्षा पांच में नामांकित हैं. कभी कभार स्कूल जाते हैं. अधिकतर समय सुबह जंगल लकड़ी लाने चले जाते हैं. सनातन कहते हैं क्या करें. लकड़ी नहीं लायेंगे, तो खायेंगे क्या.
जंगल से लकड़ी लाकर बेचते हैं, तो चलता है परिवार
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement