दुमका : महंगाई की मार ने बरसात के इस मौसम में लिट्टी-चोखा पर भी आफत कर दी है. बाजार में इन दिनों चने का सत्तु 135 से 140 रुपये किलो के भाव बिक रहा है, जबकि तीन-चार माह पूर्व चने का सत्तू 80 से 85 रुपये किलो बिक रहा था. चने की कीमत में लगातार वृद्धि होने से गरीब तबके के लोग सत्तू खाने से वंचित हो रहे हैं. मसाले की कीमत में भी हाल के दिनों में काफी बढ़ोतरी हुई है. दरअसल लिट्टी बनाने में मसाले भी प्रयोग में लाये जाते हैं. चोखा बनाने के लिए आलू ही नहीं बैंगन व टमाटर की कीमतें भी बरसात में आसमान छू रही है.
टमाटर व बैगन भी 40 रुपये बिक रहा है. एक वक्त था, जब सत्तू को गरीबों का आहार माना जाता था, लेकिन आज यह गरीबों की थाली से दूर होता जा रहा है. कचहरी परिसर में लिट्टी चोखा बेचने वाले पिंटू साह बताते हैं कि अब कीमतें इतनी बढ़ गयी है कि उसका असर बाजार पर पड़ने लगा है.
पहले गरीब तबके के लोग भी इसे खा पाते थे, लेकिन अब महंगाई में वे इसे नहीं खरीद पा रहे. खरीदते भी हैं, तो महंगाई पेट भरने लायक उन्हें खाने नहीं देती. वे कहते हैं कि सत्तू की कीमत पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुनी है. सब्जी-मसाले के भाव भी सस्ते नहीं रह गये. ऐसे में पांच रुपये में बिना घी के बिकने वाली लिट्टी की कीमत तो उन्होंने नहीं घटायी, पर आकार आधा जरूर कर देना पड़ा है. दुकान लगाने वाले प्रदीप भी कहते हैं कि जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है, एेसे में गरीबों का गुजर-बसर होने वाला नहीं है. सत्तू गरीबों का ही खाना माना जाता था, पर आज गरीब भी उसे खरीदने की हिम्मत नहीं कर पा रहे.