मांग. शराबबंदी को लेकर महिलाओं ने निकाली रैली, पूरे नगर में किया प्रदर्शन
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राज्य में अविलंब लागू हो शराबबंदी
मांग. शराबबंदी को लेकर महिलाओं ने निकाली रैली, पूरे नगर में किया प्रदर्शन बिहार में शराबबंदी से प्रेरित हो कर पूरे राज्य में महिलाएं शराबबंदी को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन शुरू कर दी है. वे राज्य में अविलंब देशी व विदेशी शराब की बिक्री व उत्पादन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही हैं. उपायुक्त […]
बिहार में शराबबंदी से प्रेरित हो कर पूरे राज्य में महिलाएं शराबबंदी को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन शुरू कर दी है. वे राज्य में अविलंब देशी व विदेशी शराब की बिक्री व उत्पादन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही हैं.
उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को सौंपा आठ सूत्री ज्ञापन
देशी व विदेशी शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग
दुमका : जिले की सीमा से सटे पड़ोसी राज्य बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने पर इस क्षेत्र की ऐसी महिलाएं अपने क्षेत्र में शराबबंदी को लेकर मुखर होने लगी है. जिनकी जिंदगी शराब ने पूरी तरह तबाह कर दी है. शनिवार को ऐसी महिलाओं ने न्यू बांधपाड़ा-हॉस्पिटल रोड मुहल्ले से एक रैली निकाली तथा पूरे नगर में प्रदर्शन करते हुए समाहरणालय के समक्ष जम कर नारेबाजी की. वे दुमका में भी देशी एवं विदेशी शराब की बिक्री एवं उत्पादन पर पूर्णत:
प्रतिबंध लगाने को लेकर आवाज उठा रहीं थीं. रैली का नेतृत्व नवगठित संस्थाएं मयुराक्षी एवं विधवा विकास समिति की सुस्मिता सोरेन एवं विक्रम कुमार सिन्हा कर रहीं थीं. इन्होंने उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को आठ सूत्री ज्ञापन भेजा है. इसमें रनु-बाखर बनाने एवं बेचने वालों पर कठोर कार्रवाई करने,
हड़िया दारु पीने एवं बेचने वालों को दंडित करने, चौक-चौराहों पर हड़िया-दारु बेचने को मजबूर महिलाओं को रोजगार से जोड़ने, विधवा महिलाओं के पुनर्वास के लिए कार्य योजना बनाये जाने आदि की मांग की गयी. जिससे उन्हें जीवन-यापन में किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो. रैली में चंपा बास्की, फारुख आलम, मो इम्तियाज, प्रोमिला मरांडी, सीमा मुर्मू, रीमा मुर्मू, मीनू मरांडी एवं संगीता मरांडी आदि शामिल हुईं.
पहली बार इतनी तादाद में सड़क पर उतरीं महिलाएं
उपराजधानी दुमका में पहली बार इतनी तादाद में शराबबंदी को लेकर आदिवासी समाज की महिलाएं सड़क पर उतरी थी. रैली में पचास से भी अधिक ऐसी महिलाएं थी, जिनके पति को शराब ने छीन लिया.
महिलाएं देशी-विदेशी, हड़िया-दारु सभी तरह की नशाबंदी की मांग को लेकर हाथों में तख्तियां थामी हुई थीं. वहीं महिलाओं ने खासकर आदिवासी समाज में हड़िया, दारु और शराब बेचने-बनाने में बहुत सी महिलाओं के वैकल्पिक रोजगार देकर इस धंधे को बंद कराये जाने की मांग की.
गांव-गांव में चलेगा आंदोलन
प्रभावित महिलाओं का कहना था कि पूर्ण शराबबंदी के अपने अभियान को वे जिला मुख्यालय तक ही सीमित नहीं रखेंगी, बल्कि इसे जन आंदोलन का रूप देंगी. गांव-गांव में महिलाओं को इस मुहिम से जोड़ा जायेगा. प्रखंड स्तर पर भी धरना-प्रदर्शन के आयोजन किये जायेंगे तथा राज्य सरकार पर दबाव बनाया जायेगा और प्रतिबंध लगाया जायेगा.
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